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नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती पाठ करते समय इन नियमों का करें पालन वरना नहीं मिलेगा इसका फल

By Astro panchang | Oct 11, 2021

नवरात्रि के दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि पूजन में माँ नवरात्रि कथा, दुर्गा चालीसा, आरती और श्रीदुर्गा सप्तशती पाठ करने का विशेष महत्व है। नवरात्रि में कलश स्थापना के बाद श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ करने से विशेष फल प्राप्त होता है। श्रीदुर्गा सप्तशती में कुल 13 अध्याय हैं जिनमें माँ दुर्गा की महिमा का वर्णन किया गया है। ऐसा माना जाता है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ विधिपूर्वक करने से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए अन्यथा आपको इसका फल नहीं मिलेगा। आइए जानते हैं कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए - 

दुर्गा सप्तशती का पाठ हमेशा स्नान आदि करके और साफ वस्त्र पहकर ही करना चाहिए। 

कुशा के आसन या ऊन के बने आसन पर बैठकर ही दुर्गा सप्तशती का पाठ का पाठ करें। 

दुर्गा सप्तशती का पाठ हमेशा साफ और स्पष्ट उच्चारण के साथ करना चाहिए। पाठ करते समय एक-एक शब्द को स्पष्ट रूप से पढ़ना चाहिए। यदि संस्कृत में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने में कठिनाई हो तो हिंदी में पाठ करें। 

दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले पुस्तक को एक लाल कपड़े पर रखें और उस पर अक्षत और फूल चढ़ाएं। पुस्तक की पूजा करने के बाद ही पाठ सूर्य करें। 

नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले और अंत में नर्वाण मंत्र ''ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे'' का जाप अवश्य करें।

दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय जम्हाई नहीं लेनी चाहिए। हमेशा मन को शांत और स्थिर करके ही पाठ शुरू करें।

यदि किसी दिन किसी कारणवश दुर्गा सप्तशती का पूरा पाठ नहीं कर पाएं तो सप्तशती के आखिर में दिए गए कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें और देवी से अपनी पूजा स्वीकार करने की प्रार्थना करें।

दुर्गा सप्तशती का पाठ समाप्त करने के बाद माँ दुर्गा से अपनी किसी भी तरह की भूल-चूक के लिए क्षमा याचना जरूर करें।
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