हिंदू पंचाग के मुताबिक आज यानी की 7 जून को कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी मनाई जा रही है। हर साल आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। इसके साथ ही इस दिन व्रत भी रखा जाता है। बता दें कि भगवान गणेश को कई नामों से जाना जाता है। इनमें गणेशजी को गणपति, विनायक, गजानन, गणेश्वर, सिद्धिविनायक, अष्टविनायक, बुद्धिपति, गौरीनंदन, गौरीपुत्र, श्री गणेश, गणधिपति, सुखकर्ता, विघ्नहर्ता, शुभकर्ता आदि प्रमुख हैं।गणेश जी बुद्धि-विवेक का देवता माना जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा-अर्चना करने से साधक को सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है। साथ ही जो व्यक्ति इस दिन व्रत करते हैं उन्हें व्रत के पुण्य प्रताप से आय, सुख और भाग्य में वृद्धि प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस व्रत के महत्व के बारे में...
शुभ मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी तिथि की शुरूआत 6 जून की रात 12:50 मिनट से हो गई है। वहीं अगले दिन यानी की 7 जून को रात 9:50 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी। आज यानी की 7 जून को कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। संकष्टी के दिन चन्द्रोदय समय रात 09:50 मिनट का है।
पूजा विधि
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान आदि कर व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद घर के मंदिर में एक आसन बिछाकर पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बैठें।
फिर भगवान गणेश को स्नान आदि करवा कर उन्हें सुंदर और स्वच्छ वस्त्र पहनाएं।
अब तिलक लगाकर फूल आदि अर्पित करें और घी का दीपक जलाकर भगवान गणेश को 21 दुर्वा की गांठ चढ़ाएं।
गणेश चालीसा का पाठ कर भोग में मोतीचूर के लड्डू चढ़ाएं।
इसके बाद गणेश जी की आरती कर पूजा में हुई भूल के लिए उनके क्षमा याचना करें।
गणेश मंत्र
ॐ गं गणपतये नम:।
वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।।
ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय-निवारय स्वाहा।
ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये। वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
आषाढ़ संकष्टी चतुर्थी व्रत महत्व
धार्मिक मान्यता के मुताबिक आषाढ़ मास की संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन की तमाम परेशानियां दूर होती हैं। संतान संबंधित समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए भी यह व्रत काफी उत्तम माना जाता है।