कसारदेवी मंदिर के निकट बहुत से बौद्ध आश्रम है जो ध्यान और योग साधना का केंद्र हैं। इस जगह की अलौकिक शक्तियों के चलते बौद्ध विद्वान लामा आंगरिक गोविन्दा ने इसको अपना निवास बनाया था। उत्तराखंड के पहाड़ो में कसार देवी का मंदिर है। यहां पृथ्वी के नीचे चुंबकीय शक्ति का भंडार है। नासा ने भी इस क्षेत्र को जीपीएस 8 स्थापित किया है। यहां कई वैज्ञानिक अनुसंधान भी किये गए है। यहां आपको पाषाण काल के भी अवशेष देखने को मिलेंगे। यह कात्यायनी देवी का मंदिर है। यह मंदिर हिप्पी आंदोलन के दौरान बहुत प्रसिद्द हुआ।
कैसी है मंदिर की संरचना
यह मंदिर बहुत ही सुंदर है इसकी बनावट सरल और सुरुचिपूर्ण है। यहां देवी माता की मूर्ति है। यहां आपको किसी दैवीय शक्ति का आभास होता है। यह पहाड़ो के बीच बसा हुआ है। यह दूसरी शताब्दी में बना हुआ है यहां आपको एक अलग ही प्रकार ही मानसिक शांति मिलेगी। यहां की प्राकृतिक सुंदरता इस मंदिर की भव्यता में वृद्धि करते हैं। इस मंदिर के भीतर छोटे-छोटे मंदिरो का समूह है जो आपको इस मंदिर के प्राचीन वैभव का आभास कराते हैं।
मंदिर की खासियत
मंदिर के नीचे चुंबकीय शक्ति का भंडार है। यहां बहुत से वैज्ञानिक अनुसंधान चल रहें हैं। यह मंदिर पूरा रेडिएशन क्षेत्र है। अब तक हुए रिसर्च के द्वारा पता चला है कि कसारदेवी मंदिर और दक्षिण अमेरिका के पेरु में स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग में समानताएं हैं। यह मंदिर अलौकिक शक्तियों से पूर्ण है। मानव के ऊपर इस मंदिर क्षेत्र के रेडिएशन का क्या प्रभाव है इस बात का रिसर्च के द्वारा पता लगाया जा रहा है।
कहां है कसार देवी मंदिर
कसार देवी का मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा के पास स्थित कसार नाम के गांव में है। यह गांव इस मंदिर के कारण बहुत प्रसिद्ध है। यह अल्मोड़ा शहर से आठ किलोमीटर की दूरी पर बसा है। यहां आपको यातायात के साधन आसानी से मिल जाते है। यह अल्मोड़ा-बागेश्वर हाइवे के पास है।
लगता है भव्य मेला
कसार देवी मंदिर का निर्माण दूसरी शताब्दी का बना हुआ है। यहां आपको उस शताब्दी से संबंधित बहुत से अवशेष देखने को मिलते है। यहां प्रति वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर कसार का मेला लगता है। जिसमें हजारो संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। यहां विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में आते हैं।
स्वामी विवेकानंद ने की थी यहां आध्यात्मिक साधना
स्वामी विवेकानंद ने कसारदेवी मंदिर में योग साधना की। यह उनके लिए एक अलग आध्यात्मिक अनुभूति थी। जिसके बाद स्वामी जी मानव कल्याण के कार्यो में समर्पित हो गए। स्वामी जी को यहां चुंबकीय शक्ति का आभास हुआ था। बाद में इसका वर्णन उन्होंने अपनी डायरी में भी किया। यह मंदिर योग साधना के लिए विशेष रूप से विख्यात है। इस मंदिर के ऐतिहासिक महत्व का पता इस बात से चलता है कि बाबा नीम करोरी, माता आनंदमयी जैसे संत योग साधना कर चुके हैं।
कैसे पहुंचे कसारदेवी मंदिर
कसार देवी का मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा में है यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है। यहां से आपको कसारदेवी मंदिर के लिए आसानी से यातायात के साधन मिल जायेंगे। अगर आप हवाई जहाज से यात्रा करना चाहते है तो यहाँ का निकटतम एयरपोर्ट पंतनगर है जो यहां से 124 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दिल्ली से कसारदेवी की दूरी 357 किलोमीटर है। कार्तिक पूर्णिमा का अवसर यहां आने के लिए सबसे अच्छा है। मंदिर सुबह 7 बजे खुलता है और शाम 7 बजे बंद हो जाता है।