हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि को छोड़ते हुए अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश कर जाते हैं। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति कहते हैं। सूर्य देव के मकर राशि में आने के साथ ही खरमास समाप्त हो जाता है और मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश आदि शुरू हो जाते हैं। मकर संक्रांति को भगवान सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी (शुक्रवार) को मनाया जाएगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति भगवान सूर्य का प्रिय पर्व है। इस दिन सूर्य देव की उपासना से ज्ञान-विज्ञान, विद्वता, यश, सम्मान और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सूर्य को सभी ग्रहों का सेनापति माना जाता है। ऐसे में सूर्य की उपासना करने से समस्त ग्रहों का दुष्प्रभाव समाप्त होता है।
शुभ मुहूर्त
ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस साल 14 जनवरी और 15 जनवरी दोनों ही दिन पुण्यकाल और स्नान, दान का मुहूर्त बन रहा है। हालांकि, ज्यादा उत्तम तिथि 14 जनवरी ही होगी। इस बार मकर संक्रांति पर सुबह 8 बजकर 5 मिनट के बाद से स्नान दान का मुहूर्त है क्योंकि सूर्य दोपहर 2 बजकर 9 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
मकर संक्राति पुण्य काल : 2 बजकर 12 मिनट से शाम 5 बजकर 45 मिनट तक
महापुण्य काल मुहूर्त : 2 बजकर 12 मिनट से 2 बजकर 36 मिनट तक
मकर संक्रांति के दिन काले तिल के लड्डू क्यों खाए जाते हैं?
धर्म और ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ खाने और दान करने से कुंडली में शनि और सूर्य की अशुभ स्थिति से शांति मिलती है। शास्त्रों में काले तिल का संबंध शनि और गुड़ का संबंध सूर्य से बताया गया है। मकर सक्रांति के दिन इन दोनों चीजों को खाने से शनि और सूर्य देव की कृपा बनी रहती है। इससे घर में सुख समृद्धि आती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
मकर संक्रांति के दिन तिल का इस्तेमाल करने के पीछे कई पौराणिक कथाएं भी हैं। एक कथा के अनुसार एक बार सूर्य देव ने क्रोध में आकर अपने बेटे शनिदेव का घर कुंभ जला दिया था। जब सूर्यदेव ने शनिदेव के घर जाकर देखा तो घर में काले तिल के अलावा रखी सारी चीजें जल गई थीं। तब शनिदेव ने अपने पिता सूर्य देव का स्वागत काले दिल से किया। यह देखकर सूर्य देव प्रसन्न हुए और उन्होंने शनिदेव को रहने के लिए एक और घर 'मकर' दिया। इसके साथ ही सूर्य देव ने वरदान दिया कि जब सूर्य मकर राशि में आएंगे तो उनका घर धन-धान्य से भर देंगे। माना जाता है कि जो लोग इस दौरान काले तिल और गुड़ को अर्पित करते हैं उन्हें सूर्यदेव और शनि देव दोनों की कृपा प्राप्त होती है। ऐसा करने से जीवन में सफलता मिलती है और धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है।
मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व
मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन सूर्य देव को लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, मसूर दाल, तांबा, सोना, सुपारी, लाल फूल, नारियल, दक्षिणा करने से सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का दान करने से घर में सुख-शांति आती है। इस दिन गुड़ और तिल दान करने से कुंडली में सूर्य और शनि की स्थिति से शांति मिलती है। इस दिन तांबे के बर्तन में काले तिल को भरकर किसी गरीब को दान करने से शनि की साढ़े साती में लाभ होता है। मकर संक्रांति के दिन नमक का दान करने से भी शुभ लाभ होता है। मान्यता के अनुसार इस दिन गाय के दूध से बने घी का दान करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।