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मौनी अमावस्या पर पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए करें ये आसान उपाय, जीवन में आएगी सुख-समृद्धि

By Astro panchang | Jan 29, 2022

हिन्दू धर्म में मौनी अमावस्या का बहुत महत्व है।  हिन्दू पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस बार मौनी अमावस्या 1 फरवरी 2022 (मंगलवार) को है। इस दिन लोग गंगा नदी या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। मौनी अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ तथा भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितर पितृलोक से संगम में स्नान करने आते हैं और यहां देव और पितरों का संगम होता है। शास्त्रों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करके पितृदोष से मुक्ति पाई जा सकती है। ज्योतिष शास्त्र में मौनी अमावस्या को पितृ दोष से मुक्ति पाने के कई आसान उपाय बताए गए हैं। ऐसा माना जाता है कि इन उपायों को करने से पितर प्रसन्न होते हैं और सुख समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद देते हैं। आज के इस लेख में हम आपको मौनी अमावस्या के आसान उपाय बताएंगे -

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मौनी अमावस्या को सूर्योदय से पहले तिल और जल से पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। मौनी अमावस्या के दिन तिल का गो बनाकर सभी सामग्रियों समेत दान करने से सात जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष प्राप्त होता है।
 
मौनी अमावस्या के दिन शाम को किसी पीपल के पेड़ की जड़ में जल और गाय का दूध चढ़ाएं और उसके बाद सरसों के तेल का दीपक जलाएं। ऐसा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।  
 
शास्त्रों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान के बाद तिल, आंवला, सोना या दूध देने वाली गाय का दान करने से शनि के अशुभ फलों से मुक्ति मिलती है।

मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान और व्रत करने से पुत्र और दामाद की आयु लंबी होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन त्रिवेणी में स्नान और दान करने से सो अश्वमेध यज्ञ और एक हजार राजसूया यज्ञ के बराबर फल मिलता है।

मौनी अमावस्या के दिन पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।

स्कंद पुराण में मौनी अमावस्या के महत्व को बताया गया है कि इस दिन गुड़, घी, तिल और शहद युक्त खीर गंगा में डालने से पितर 100 वर्षों तक तृप्त बने रहते हैं। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
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