गणेश उत्सव की शुरुआत गणेश चतुर्थी से होती है। इस दिन भक्त बड़ी धूम-धाम से भगवान को अपने घर लाते हैं और 10 दिन तक उन्हें अपने साथ रखते हैं। इसके बाद अनंत चतुर्दशी के दिन उतनी ही धूम-धाम के साथ भगवान का विसर्जन किया जाता है। इस साल गणेश विसर्जन 1 सितंबर को किया जाएगा। भक्त अपनी इच्छानुसार भगवान को 1, 3, 5, 7 या 10 दिनों तक अपने साथ रखते हैं। 10 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में भक्त विघ्नहर्ता भगवान की पूजा-आराधना और सेवा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि गणेशोत्सव में भगवान भक्तों के सभी विघ्न हरने और उनकी सभी मनोकामनाएँ पूरी करने के लिए आते हैं। गणेश उत्सव की समाप्ति भगवान के विसर्जन के साथ होती है। इस दिन भी भक्त धूम-धाम और भक्ति-भाव से भगवान की पूजा कर उन्हें विदा करते हैं और अगले साल जल्दी आने की कामना करते हैं। आज के इस लेख में हम आपको गणेश विसर्जन की विधि के बारे में बताने जा रहे हैं। विधि-विधान से पूजा और विसर्जन करने से भगवान गणेश की कृपा भक्तों पर सदैव बनी रहती है और उनकी भगवान उनकी सभी इच्छाएँ पूरी करते हैं -
गणेश विसर्जन की विधि -
गणपति विसर्जन से पहले भगवान की बिल्कुल उसी प्रकार पूजा-आराधना करें जैसे आप चतुर्थी से लेकर अब तक हर दिन करते आए हैं।
गणेश भगवान को ताज़े फूलों की माला पहनाएं और ताजे फूल अर्पित करें। इसके साथ ही उन्हें पान का पत्ता, सुपारी, लौंग और फल चढ़ाकर भगवान की आरती करें और ॐ गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें।
अब एक पाटा या छोटा स्टूल लें। उस पर गंगाजल छिड़के और स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। इसके बाद पाटे या स्टूल पर अक्षत रखें और उस पर लाल, गुलाबी या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं।
इसके बाद भगवान गणेश की जयघोष करते हुए उन्हें स्थापना वाले स्थान से उठाएं और इस पाटे या स्टूल पर विराजित करें। भगवान के साथ पाटे पर फल, फूल, वस्त्र, दक्षिणा और 5 मोदक भी रखें।
एक पोटली में चावल, गेहूं, पंचमेवा और दक्षिणा रखें और इसे एक छोटी सी लकड़ी में बांधकर भगवान गणेश के साथ रख दें। माना जाता है कि ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे भगवान को रास्ते में किसी भी प्रकार की कोई परेशानी ना हो।
अब पाटे सहित भगवान की मूर्ति को विसर्जन के लिए नदी या समंदर तक लेकर जाएं। भगवान का विसर्जन बड़ी धूम-धाम से किया जाता है। विसर्जन के लिए ले जाते समय भगवान का भजन गाते-बजाते हुए जाएं। विसर्जन करने से पहले कपूर से भगवान की आरती करें।
भगवान को खुशी-खुशी विदाकर उनसे अगले साल जल्दी आने की प्रार्थना करें। इसके साथ ही पूजा या किसी अन्य प्रकार की जाने-अनजाने में हुई भूल के लिए भगवान से क्षमा याचना करें और उनसे आशीर्वाद मांगे। अब प्रेम और आदर सहित धीरे-धीरे भगवान गणेश की मूर्ति पानी में विसर्जित करें।