सनातन धर्म में मार्गशीर्ष महीने को अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है। इस महीने में भगवान श्रीकृष्ण की विशेष रूप से पूजा-अर्चना करने का विधान है। माना जाता है कि यदि आप मार्गशीर्ष महीने में भगवान श्रीकृष्ण की कृपा व आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको उनके मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए। मार्गशीर्ष महीने में जप-तप करना शुभ फलदायी माना गया है। इसके अलावा इस महीने पवित्र नदियों में स्नान करना भी शुभ माना जाता है। साथ ही मार्गशीर्ष माह में दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको दक्षिणावर्ती शंख की पूजा के विधान और महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं।
दक्षिणावर्ती शंख की पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मार्गशीर्ष माह भगवान श्रीकृष्ण का महीना माना जाता है। इस महीने मां लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति के जीवन में समस्याएं चल रही हैं, उसको मार्गशीर्ष महीने में भगवान श्रीकृष्ण और मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। इससे व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की वृद्धि होती है। साथ ही मार्गशीर्ष महीने में दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करने का भी महत्व होता है। इस महीने शंख की पूजा करने से व्यक्ति को धन-संपदा की प्राप्ति हो सकती है और वास्तु दोष से भी मुक्ति मिलती है।
बता दें कि दक्षिणावर्ती शंख को मां लक्ष्मी का भाई माना जाता है। माना जाता है कि जिस भी घर में शंख होता है, वहां पर मां लक्ष्मी का भी वास होता है। वहीं इस महीने में भगवान श्रीकृष्ण को शंख से जलाभिषेक करने के भी नियम बताए गए हैं। इस महीने दक्षिणावर्ती शंख की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इससे घर में हमेशा सकारात्मकता का संचार होता है और भगवान श्रीकृष्ण को विष्णु भगवान का अवतार माना गया है। इसलिए उनकी पूजा में दक्षिणावर्ती शंख का उपयोग जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को जीवन में कभी भी दुख और दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ता है और जातक को रोगदोष से भी छुटकारा मिल जाता है।
पूजा के नियम
शंख को हमेशा लाल रंग के कपड़े में लपेटकर रखना चाहिए। क्योंकि लाल रंग मां लक्ष्मी को अतिप्रिय होता है।
शंख में गंगाजल भरकर 'ॐ श्री लक्ष्मी सहोदराय नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए।
शंक को घर के मंदिर या फिर पूजा स्थल पर स्थापित करना चाहिए।
मार्गशीर्ष माह में शंख के सामने प्रतिदिन घी का दीपक जलाना चाहिए।
शंख को बजाने के दौरान मुंह हमेशा दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।