By Astro panchang | Mar 03, 2020
होली के त्यौहार में अब कुछ ही दिन रह गए हैं। इस साल होलिका दहन 9 मार्च और रंग वाली होली 10 मार्च को है। लेकिन इससे पहले 3 मार्च से होलाष्टक शुरू होने वाला है, जो 8 दिनों तक चलेगा। अगर आप नहीं जानते हैं तो आपको बता दें कि होलाष्टक के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। आइए जानते हैं होलाष्टक क्या होता है और इसके पीछे क्या कहानी है -
क्या है होलाष्टक?
होलाष्टक का अर्थ है होली से पहले के 8 दिन यानि फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक होलाष्टक माना जाता है। इस साल होलाष्टक 3 मार्च से लेकर 9 मार्च तक रहेगा। होलाष्टक से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार जब कामदेव ने प्रेमबाण चलाकर भगवान शिव की तपस्या को भंग कर दिया तो वे क्रोधित हो गए और अपना तीसरा नेत्र खोल दिया। भगवान शिव के तीसरे नेत्र से निकली अग्नि से कामदेव भस्म हो गए जिससे सारी सृष्टि में शोक फैल गया। कामदेव की पत्नी रति ने अपने पति को जीवित करने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की। रति की आराधना से खुश होकर भगवान शिव प्रसन्न हो गए और कामदेव को पुर्नजीवित कर दिया।
एक अन्य कथा के अनुसार भक्त प्रह्लाद की हरि भक्ति से नाराज होकर हिरण्यकश्यप ने होली से पहले के आठ दिनों में प्रह्लाद को अनेकों प्रकार के कष्ट दिए थे, तभी से इन आठ दिनों को हिन्दू धर्म में अशुभ माना गया है।
होलाष्टक के दौरान ना करें ये काम :
होलाष्टक में सभी शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण और विद्यारंभ आदि नहीं किए जाते हैं। इसके साथ ही होलाष्टक में घर में कोई नई वस्तु नहीं लानी चाहिए और ना ही वाहन, भवन, सोना, रत्न आदि की खरीदारी करनी चाहिए।