देवों के देव महादेव को सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले भगवान माना जाता है। कहते हैं कि शिव जी अपने भक्तों को थोड़े कष्ट में ही देखकर पसीज जाते हैं। अगर कोई भक्त सोमवार को सच्चे मन और पूरे समर्पण से उनकी आराधना करता है तो वह अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर कर देते हैं। धार्मिक मान्यताओं की मानें तो भगवान शंकर का न आदि है और न अंत है। भगवान भोले के 12 ज्योतिर्लिंगों के साथ ही कई प्रसिद्ध मंदिर भी हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भगवान शंकर के उन प्रमुख मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां पर दर्शन करने से न सिर्फ भक्तों की हर इच्छा पूरी होती है, बल्कि मोक्ष के द्वार भी खुल जाते हैं। इस मंदिरों में भगवान शिव की आराधना और विधि-विधान से पूजा अर्चना करने से न सिर्फ पुण्य-लाभ मिलता है साथ ही भक्तों को सारे कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है।
1. केदारनाथ धाम
हिमालय की गोद में बसा भगवान भोलेनाथ का धाम केदारनाथ मंदिर सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बसा है। यह देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। यह मंदिर उत्तराखंड का सबसे विशाल मंदिर है। इसका निर्माण पत्थरों के शिलाखंडों को जोड़कर किया गया है। केदारनाथ धाम की स्थापना पांडव वंश के जनमेजय द्वारा की गई थी। मान्यता है कि भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण ऋषि हिमालय के केदार श्रृंग पर तपस्या करते थे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वरदान दिया था। इस मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों को कठिन यात्रा तय करनी पड़ती है।
2. अमरनाथ धाम
अमरनाथ की गुफा बाबा बर्फानी के नाम से भी प्रसिद्ध है। हजारों वर्षों से बाबा अमरनाथ की तीर्थयात्रा होती रही है। यह स्थल भगवान शिवजी के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। काफी कठिन रास्ता होने के बाद भी हर साल हजारों भक्त यहां दर्शन करने जाते हैं। कहते हैं कि कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। जिस स्थान पर शिव शंकर ने अमरकथा सुनाई थी, वह स्थान जनशून्य था। मान्यता है कि पवित्र गुफा में विराजमान हिमलिंग का आकार चंद्र के साथ बढ़ता-घटता रहता है।
3. महाकालेश्वर मंदिर
महाकालेश्वर का मंदिर उज्जैन में स्थित है। यह भी बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। बता दें कि उज्जैन स्थित महाकालेश्वर के दर्शन किए बिना 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाती है। महाकाल को उज्जैन का विशिष्ट पीठासीन देवता माना जाता था। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर का शिवलिंग स्वयंभू यानि कि अपने आप से प्रकट हुआ माना जाता है। बता जें कि महाकालेश्वर मंदिर में लिंग स्वरुप भोलेनाथ की प्रतिमा दक्षिणामुखी है। पहले यहां पर जलती हुई चिता की राख लाकर भगवान शिव की पूजा की जाती थी।
4. काशी विश्वनाथ मंदिर
बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग भगवान शिव की नगरी काशी में है। जिसे बाबा विश्वनाथ के नाम से जानते हैं। काशी को वाराणसी और बनारस के नाम से भी जानते हैं। कहा जाता है कि गंगा किनारे बसी यह नगरी भगवान शिव के त्रिशूल के नोक पर बसी है। भगवान शंकर को यह नगरी काफी पसंद है। इसलिए उन्होंने अपना नाम काशीनाथ रखा था। हिंदू धर्म में काशी विश्वनाथ मंदिर का एक विशिष्ट स्थान है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मंदिर को विश्वेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
5. रामेश्वरम मंदिर
रामेश्वरम मंदिर तमिलनाडू के रामनाथपुर में स्थित है। कहा जाता है कि रामेश्वरम मंदिर के शिवलिंग की स्थापना स्वयं श्री राम द्वारा की गई थी। मंदिर की दीवारों पर छोटी-छोटी बनी प्रतिमा और दीवारों में सुंदर नक्काशी की गई है। ब्राह्मण रूपी रावण को मारने के बाद भगवान श्रीराम ने दोष से छुटकारा पाने के लिए इसी स्थान पर शवलिंग स्थापित कर पूजा-अर्चना की थी। यह मंदिर हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से घिरा हुआ है। बता दें कि रामेश्वरम मंदिर पूरे विश्व में काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।