हिंदू धर्म में पुनर्जन्म का विधान है। धार्मिक ग्रंथ गरुण पुराड़ में पुनर्जन्म के बारे में काफी विस्तार से बताया गया है। गरुण पुराण के मुताबिक व्यक्ति द्वारा उसके जीवन में किए गए कर्मों के आधार पर पुनर्जन्म मिलता है। कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति पाप और अधर्मी होता है, तो उसको मरने के बाद नरक प्राप्त होता है। वहीं पुण्य और अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति को मरने के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मरने के बाद यमराज व्यक्ति के कर्मों का पूरा ब्योरा जानकर उसे फैसला सुनाते हैं। अच्छे कर्म करने वालों को स्वर्ग और बुरे कर्म करने वालों को नर्क प्राप्त होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यमराज की अदालत कहां लगती है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं।
यमराज की अदालत
हिमालय की गोद में बसा हिमाचल प्रदेश अपने रहस्यों और प्राकृतिक खूबसूरती के लिए काफी फेमस है। हिमाचल प्रदेश में कई छोटे-बड़े अनोखे मंदिर मौजूद हैं। इनमें से एक मंदिर चंबा जिले के भरमौर में स्थित है। यह मंदिर मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित है। मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में मृत्यु के देवता यमराज विराजते हैं। वहीं इस मंदिर के एक अन्य कक्ष में चित्रगुप्त विराजमान हैं। भाईदूज के दिन इस मंदिर परिसर में मेला का आयोजन किया जाता है।
भाईदूज के दिन इस मंदिर में बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। हालांकि काफी कम लोग ही मंदिर के कक्ष में जाते हैं। बाहर से ही लोग मृत्यु के देवता यमराज को प्रणाम कर लेते हैं। इसके साथ ही अनजाने में हुए पाप के लिए क्षमा याचना कर लेते हैं।
धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यता के अनुसार, किसी व्यक्ति के मरने के बाद उसकी आत्मा को यमराज के दूत सबसे पहले इसी मंदिर में लेकर आते हैं। आसान शब्दों में समझे तो व्यक्ति के मरने के बाद यमराज की अदालत में आत्मा की पहली हाजिरी लगती है। मृत्यु के देवता यमराज को चित्रगुप्त कर्मों का लेखा-जोखा सुनाते हैं। इसके बाद यमराज उसे स्वर्ग और नर्क का फैसला सुनाते हैं। इस मंदिर के चारों दिशाओं में अदृश्य द्वार हैं। इन दरवाजों से यमराज के दूत अच्छे कर्म करने वाले को स्वर्ग ले जाते हैं और बुरे कर्म करने वाले को नरक ले जाते हैं।