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Sheetala Ashtami 2024: मां शीतला की पूजा करने से मिलता है निरोगी काया का आशीर्वाद, इस दिन बासी खाने का लगाया जाता है भोग

By Astro panchang | Apr 02, 2024

शीतला अष्टमी को बसोड़ा भी कहा जाता है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को बसोड़ा यानी की शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मां शीतला की पूजा-अर्चना की जाती है। मां शीलता को इस दिन बासी खाने का भोग लगाया जाता है। मां शीतला के आशीर्वाद से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि शीतला अष्टमी के शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।

बसोड़ा 2024
वैदिक पंचांग के मुताबिक 01 अप्रैल दिन सोमवार को रात 09:09 मिनट पर चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरूआत होगी। वहीं आज यानी की 02 अप्रैल को रात 08:08 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा। उदयातिथि के अनुसार आज यानी 02 अप्रैल 2024 को शीतला अष्टमी का व्रत व पूजा की जाएगी।

शुभ मुहूर्त
आज यानी कि 02 अप्रैल को मां शीतला की पूजा के लिए 12 घंटे 30 मिनट का शुभ समय मिलेगा। बता दें कि सुबह 06:10 मिनट से लेकर शाम 06: 40 मिनट तक आप मां शीतला की पूजा कर सकते हैं।

परिघ योग और पूर्वाषाढा नक्षत्र
इस दिन परिघ और शिव योग बन रहें। इसके अलावा शीतला अष्टमी के मौके पर पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र है। परिघ योग सुबह से लेकर शाम 06:36 मिनट तक है। वहीं सुबह से लेकर रात 10:40 मिनट तक पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र है। फिर इसके बाद उत्तराषाढ़ा नक्षत्र है।

शीतला अष्टमी के फायदे
शीतला अष्टमी यानी की बसोड़ा के दिन जो भी जातक मां शीतला की पूजा-अर्चना करता है, उसे चेचक, खसरा और त्वचा संबंधी रोग का खतरा नहीं होता है। वहीं मां शीतला की पूजा करने वाला व्यक्ति हमेशा सुखी रहता है।

इस विधि से करें मां शीतला की पूजा
शीतला अष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले मां शीतला की पूजा करना अच्छा माना जाता है। सुबह जल्दी स्नान आदि कर मंदिर या फिर घर पर पूरे विधि-विधान से मां शीतला की पूजा करें। उन्हें जल, फल, फूल, अक्षत, कुमकुम और रोली आदि अर्पित करें। फिर मां को बासी भोजन का भोग लगाएं। मां शीतला की पूजा में धूप-दीप और आग आदि नहीं जलाया जाता है।

इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। मां शीलता को जिन भी चीजों का भोग लगाया जाता है, उसे एक दिन पहले यानी की सप्तमी तिथि को बना लिया जाता है। सप्तमी तिथि को गुड़ और चावल की खीर, पूड़ी और मिठाई आदि बनाई जाती है।
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