हिंदू धर्म में वामन देव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है। वामन देव भगवान श्रीहरि विष्णु के अवतार माने जाते हैं। मान्यता है कि जो भी जातक वामन देव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करता है, उसके सभी कष्ट दूर होते हैं। हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन वामन जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार आज यानी की 15 सितंबर 2024 को वामन जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। तो आइए जानते हैं वामन जयंती का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व के बारे में...
शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक 14 सितंबर रात 8:40 पर भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि शुरू हुई है। वहीं 15 सितंबर 2024 को शाम 06:10 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी। इस दिन श्रावण नक्षत्र में भगवान वामन देव की पूजा का विधान है। आज शाम को 06:50 मिनट तक श्रवण नक्षत्र रहेगा। वहीं दोपहर 03:15 मिनट से सुकर्मा योग शुरू हो रहा है, जो पूजा-अर्चना के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सुबह 11:50 से दोपहर 12:40 के बीच रहेगा, इस बीच दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है।
पूजन विधि
इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि कर पूजा का संकल्प लें। फिर वामन अवतार की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद वामन देव को पंचामृत से स्नान आदि कराएं और फिर उनको मौली, रोली, तुलसी, पीले पुष्प और नैवेद्य आदि अर्पित करें। वामन जयंती के दिन भगवान वामन को दही-मिश्री का भोग जरूर लगाएं। अगर संभव हो तो दही में थोड़ा सा केसर मिला लें। फिर विधि-विधान से पूजा करें और पूजा के दौरान श्रीहरि विष्णु के मंत्रों का जाप करें। अंत में वामन देव के जन्म की कथा सुनकर आरती करें।
महत्व
वामन जयंती के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और वामन देव की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के अंदर से अंहकार की भावना खत्म होती हैं। साथ ही जातक में आत्मबल की वृद्धि होती है और उसे हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। मान्यता के अनुसार, इस दिन वामन भगवान की पूजा करने से जातक को बुरे कर्मों से छुटकारा मिलता है।