हर साल अश्विन माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ललिता पंचमी का व्रत किया जाता है। इसे उपांग ललिता व्रत भी कहा जाता है। बता दें कि मां ललिता को त्रिपुर सुंदरी के अलावा महात्रिपुर सुन्दरी, षोडशी, ललिता, लीलावती और लीलामती, ललिताम्बिका, लीलेशी, लीलेश्वरी और ललिता गौरी भी कहा जाता है। यह व्रत महाराष्ट्र और गुजरात में अधिक प्रसिद्ध है। मान्यता के अनुसार, इस दिन मां ललिता की पूजा-अर्चना करने से जातक को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं उपांग ललिता व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व के बारे में...
तिथि
हिंदू पंचांग के मुताबिक आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को यह व्रत किया जाता है। इस साल यह व्रत 07 अक्तूबर 2024 को उपांग ललिता व्रत किया जा रहा है। मां ललिता देवी सती का एक रूप मानी जाती हैं। यह दस महाविद्याओं में से एक हैं। ललिता व्रत के दौरान भगवान शिव और मां ललिता की पूजा करने का विधान है। अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरूआत 07 अक्तूबर को सुबह 09:47 मिनट से शुरू हो रही है, वहीं 08 अक्तूबर की सुबह 11:17 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी। उदयातिथि के हिसाब से 07 अक्तूबर को ललिता व्रत किया जा रहा है।
ललिता पंचमी का महत्व
बता दें कि शारदीय नवरात्रि के पांचवे दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं मां ललिता को देवी सती के रूप में भी पूजा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दस महाविद्याओं में से एक देवी ललिता की जो भी जातक सच्चे मन से पूजा करता है, तो मां अपने भक्तों को रोग-दोष से छुटकारा दिलाती हैं। इसके साथ ही यह व्रत करने से जातक के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
पूजन विधि
इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनें। फिर मां ललिता का ध्यान कर व्रत का संकल्प दें। अब एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर मां ललिता की प्रतिमा या मूर्ति को स्थापित करें। इसके बाद मां ललिता की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें और ललिता सहस्त्रनाम का पाठ करें और मां ललिता के मंत्रों का जाप करें। वहीं ललिता व्रत के मौके पर मनोकामना पूर्ति के लिए 'ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः' मंत्र का जाप करें।