सावन माह में सोमवार व्रत, सावन प्रदोष व्रत और सावन शिवरात्रि की तिथियों का विशेष महत्व होता है। सावन माह में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है और मनोकामना पूरी होती है। बता दें कि आज यानी की 15 जुलाई 2023 को सावन शिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। श्रावण शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। क्योंकि यह दिन भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है। श्रावण शिवरात्रि के मौके पर कांवड़िए शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाते हैं।
श्रावण शिवरात्रि के पर्व को बेहद शुभ माना जाता है। बता दें कि देशभर में श्रावण शिवरात्रि काफी धूमधाम से मनाई जाती है। सावन शिवरात्रि में शिवलिंग का जलाभिषेक करने से और पूरे महीने भगवान शिव की पूजा का समान पुण्यफल प्राप्त होता है। यही कारण है श्रावण शिवरात्रि का दिन एक पर्व की तरह मनाया जाता है। आइए जानते हैं सावन शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में...
सावन शिवरात्रि तिथि और समय
चतुर्दशी तिथि की शुरूआति - 15 जुलाई 2023 से रात 08:32 मिनट तक
चतुर्दशी तिथि की समाप्ति - 16 जुलाई 2023 से रात 10:08 मिनट तक
निशिता काल मुहूर्त - 16 जुलाई 2023 सुबह 12.07 से 12.48 मिनट तक
शिवरात्रि पारण समय - 16 जुलाई 2023- सुबह 05:34 बजे से दोपहर 03:51 मिनट तक
चार प्रहर की पूजा का मुहूर्त
रात को प्रथम प्रहर पूजा समय - 16 जुलाई 2023 को शाम 07:17 बजे से 09:51 मिनट तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 16 जुलाई 2023 को रात 09:51 मिनट तक
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 16 जुलाई 2023 को 12:25 से दोपहर 03:00 बजे तक
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 16 जुलाई 2023 - दोपहर 03:00 बजे से शाम 05:34 मिनट तक
शुभ योग
वृद्धि योग - 14 जुलाई 2023, सुबह 08:28 - 15 जुलाई 2023, सुबह 08:22 मिनट तक
ध्रुव योग - 15 जुलाई 2023, सुबह 08:22 - 16 जुलाई 2023, सुबह 8:33 मिनट तक
ऐसे करें पूजा
श्रावण शिवरात्रि पर सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदिकर स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद शिवलिंग का दूध, दही, शहद, घी, शक्कर, गन्ने के रस आदि से अभिषेक करें। फिर काले तिल को गंगाजल में मिलाकर 108 बार महामृत्युजंय मंत्र का जाप करें और उसे शिवलिंग पर अर्पित कर दें। अब महादेव की प्रिय वस्तुएं जैसे भांग, धतूरा, बेलपत्र, हरसिंगार के फूल और काला तिल आदि अर्पित करें। इसके बाद आटे के चौमुखी दीपक में घी का दीपक जलाएं और शिव मंत्र, शिव चालीसा व शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करें।