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मौनी अमावस्या कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और स्नान-दान का महत्व

By Astro panchang | Jan 21, 2022

हिन्दू पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस बार मौनी अमावस्या 1 फरवरी 2022 (मंगलवार) को है। हिन्दू धर्म में मौनी अमावस्या का बहुत महत्व है। इस दिन लोग गंगा नदी या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। मौनी अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ तथा भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। इस दिन मौन व्रत रखने की भी परंपरा है। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था और उन्हीं के नाम से मौनी शब्द की उत्पत्ति हुई। इसलिए इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। मौनी अमावस्या को मौन व्रत रखने से व्यक्ति का आत्मबल मजबूत होता है।

मौनी अमावस्या 2022 मुहूर्त
माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 31 जनवरी (सोमवार) को रात 02 बजकर 18 मिनट पर शुरू होकर 01 फरवरी (मंगलवार) को दिन में 11 बजकर 15 मिनट तक है। ऐसे में उदया तिथि 01 फरवरी को हो रही है, इसलिए मौनी अमावस्या 01 फरवरी को मनाई जाएगी। 01 फरवरी को ही मौनी अमावस्या का स्नान, दान, व्रत, पूजा-पाठ आदि किया जाएगा।

मौनी अमावस्या के नियम
मौनी अमावस्या के दिन सुबह या शाम को स्नान के पहले संकल्प लें।
पहले जल को सिर पर लगाकर प्रणाम करें फिर स्नान करें।
साफ कपड़े पहनें और जल में काले तिल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
फिर मंत्र जाप करें और सामर्थ्य के अनुसार वस्तुओं का दान करें।
इस दिन क्रोध करने से बचें। किसी को अपशब्द न कहें।
मौनी अमावस्या के दिन ईश्वर का ध्यान करें।
 
मौनी अमावस्या को गंगा स्नान एवं दान
मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा या अन्य किसी पवित्र नदी में स्नान करें, इससे आपका आत्मबल मजबूत होगा। गंगा स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को तिल के लड्डू, तिल, तिल का तेल, वस्त्र, आंवला आदि दान करें।

पीपल के वृक्ष की पूजा
धार्मि​क मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। कहा जाता है कि पीपल के पेड़ में त्रिदेव का वास होता है। ऐसे में पीपल के पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति को ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव तीनों की ही कृपा प्राप्त होती है। इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, पिंडदान आदि करने का विधान है। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और सुख, समृद्धि और वंश वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
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