होम
कुंडली
टैरो
अंक ज्योतिष
पंचांग
धर्म
वास्तु
हस्तरेखा
राशिफल
वीडियो
हिन्दी न्यूज़
CLOSE

Vijaya Ekadashi 2024: श्रीराम ने शत्रुओं पर विजय पाने के लिए रखा था विजया एकादशी का व्रत, जानिए महत्व

By Astro panchang | Mar 06, 2024

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित एकादशी का व्रत सर्वश्रेष्ठ माना गया है। बता दें कि हर साल फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी मनाई जाती है। इस साल आज यानी की 06 मार्च को 06:31 मिनट पर विजया एकादशी तिथि शुरू हो रही है। तो अगले दिन 07 मार्च को 04:14 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी।
 
हिंदू पंचांग के मुताबिक 06 मार्च 2024 को विजया एकादशी का व्रत किया जाएगा। जो भी जातक श्रद्धा भाव से इस व्रत को करता है, उसको भगवान श्रीहरि विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।

महत्व
मान्यता के मुताबिक इस व्रत को करने से जातक को सर्वत्र विजय की प्राप्ति होती है और शुभ कार्य पूरे होते हैं। बताया जाता है कि भगवान श्रीराम ने लंका विजय की कामना से बकदाल्भ्य मुनि के कहने पर विजया एकादशी का व्रत किया था। इस व्रत के प्रभाव से श्रीराम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी। इस व्रत को करने से शत्रुओं की पराजय होती है और सभी कार्य अपने अनुकूल होने लगते हैं।

जो भी जातक विजया एकादशी का व्रत करने से करता है, उसको अन्न दान, गौदान, भूमि दान और स्वर्ण दान से भी अधिक पुण्य फल की प्राप्ति होती है। वहीं अंत में जातक मोक्ष को प्राप्त करता है। इस महापुण्यदायक व्रत को करने से जातक को वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।

पूजाविधि
इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि कर व्रत का संकल्प लें और सूर्यदेव को अर्घ्य दें। इसके बाद श्रीहरि की फोटो जिस पर वह शेषनाग की शैया पर विराजमान हों और लक्ष्मी जी उनके चरण दबा रही हों, उसे चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर ईशान कोण में रखें। फिर गंगाजल से भगवान विष्णु को स्नान आदि कराने के बाद फल, फूल, चंदन, धूप, दीप, मिष्ठान आदि अर्पित करें।

श्रीहरि विष्णु की पूजा में उनकी प्रिय तुलसीदल जरूर अर्पित करनी चाहिए। फिर पूरे श्रद्धाभाव से एकादशी व्रत कथा और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। साथ ही मां लक्ष्मी की पूजा पूरे विधि-विधान से करनी चाहिए। आखिरी में आरती कर श्रीहरि से आशीर्वाद की कामना करें। एकादशी के दिन तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए और दूसरों की निंदा नहीं करें।

एकादशी के मंत्र
*ॐ नमोः नारायणाय॥
*ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
*ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
 *मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः।
मंगलम पुण्डरी काक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥
Copyright ©
Dwarikesh Informatics Limited. All Rights Reserved.