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Onam 2024: दक्षिण भारत में दस दिनों तक मनाया जाता है ओणम पर्व, जानिए पौराणिक मान्यता

By Astro panchang | Sep 15, 2024

भारत में ओणम का त्योहार खेतों में नई फसल की उपज के लिए फेमस है। दक्षिण भारत में यह पर्व काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। विशेष तौर पर केरल के लोग ओणम पर्व को 10 दिनों तक मनाते हैं। इस बार ओणम का पर्व 06 सितंबर से शुरू हुआ था और आज यानी की 15 सितंबर 2024 को समाप्त हो रहा है। इस पर्व के दौरान लोग अपने घर के आंगन को रंगोली और फूलों से सजाते हैं। तो आइए जानते हैं इस पर्व की पौराणिक कथा और महत्व के बारे में...

पौराणिक मान्यता
ओणम का पर्व पौराणिक मान्यता से जुड़ा है। जब-जब धरती पर अधर्म और पाप बढ़ता है, तब-तब जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं। इसी तरह से दानवीर राजा महाबली असुर की बढ़ती शक्तियों को रोकने के लिए भगवान श्रीहरि विष्णु ने धरती पर वामन अवतार लिया था। संसार के उद्धार और असुरराज महाबली के शासन को समाप्त करने के लिए श्रीहरि ने वामन अवतार लिया था।

असुरराज महाबलि से वामन ने अपने बौने होने का फायदा लेते हुए दान में तीन पग जमीन मांगी थी। जिसे महाबलि ने दान कर दिया और कहा कि जहां वह चाहें तीन पग जमीन ले सकते हैं। जिसके बाद श्रीहरि ने एक फुट में पृथ्वी, दूसरे में ब्रह्मांड और तीसरे पग में बलि का सिर मांगा। राजा बलि भी अपने वजन से पीछे नहीं हटा और वामन को यह तीनों ही दे दिये। राजा बलि की उदारता से प्रसन्न हुए भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल लोक रहने को दिया और वचन दिया कि वह साल में एक बार पाताल लोक से धरती पर आ सकते हैं।

मान्यता के अनुसार, हर साल ओणम के दिन राजा बलि अपने लोगों से मिलने धरती पर आते हैं। इसीलिए इस दिन लोग अपने घर के आंगन में भगवान विष्णु के वामन अवतार की और महाबली की मूर्ति स्थापित करते है। साथ ही श्रीहरि की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। वहीं इस पर्व के आखिरी दिन मूर्तियों को विसर्जित कर दिया जाता है।

महत्व
बता दें कि यह पर्व अपने स्वादिष्ट व्यंजन जैसे ओलन, पचड़ी, तोरण, कालन, सांभर, अवियल, परिप्पू करी और इंजीपुल्ली के लिए भी फेमस है। इस पर्व के दौरान गायन, पुलिकली नृत्य और कथकली नृत्य भी आयोजित किया जाता है। ओणम एक पारंपरिक पर्व के तौर पर मनाया जाता है। इस पर्व के 10 दिनों तक कई तरह की रस्में की जाती है।
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