हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष की शुरूआत होती है। वहीं आश्विन माह की अमावस्या पर पितृ पक्ष का समापन होता है। हिंदू धर्म में आश्विन माह की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि पितृ पक्ष की अमावस्या तिथि को हमारे पितृ पुन: पितृलोक लौट जाते हैं। इसलिए आश्विन माह की अमावस्या को इस दिन पर कुछ खास कार्य किए जाते हैं। जिससे हमारे पूर्वज यानी की पितर तृप्त होकर पितृलोक वापस जाते हैं। तो आइए जानते हैं सर्वपितृ अमावस्या के मौके पर शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और उपायों के बारे में...
सर्वपितृ अमावस्या का मुहूर्त
आश्विन माह की अमावस्या तिथि की शुरूआत 01 अक्तूबर को रात 09:39 मिनट पर शुरू हुई है। वहीं 02 अक्तूबर को रात 12:18 मिनट पर अमावस्या तिथि की समाप्ति होगी। ऐसे में 02 अक्तूबर को सर्वपितृ अमावस्या मनाई जा रही है।
कुतुप मुहूर्त - सुबह 11:46 मिनट से 12:34 मिनट तक
रौहिण मुहूर्त - दोपहर 12:34 मिनट से 01:21 मिनट तक
अपराह्न काल - दोपहर 01:21 मिनट से दोपहर 03:43 मिनट तक
ऐसे में पूजन
इस दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर किसी नदी में स्नान करना संभव नहीं है, तो आप नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। वहीं पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान आदि करें। पितरों की कृपा पाने के लिए इस दिन कुत्ते, कौवे, चींटी और गाय आदि के लिए भोजन निकालें। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और क्षमतानुसार दान करें। वहीं गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न और कपड़े आदि का दान देना शुभ माना जाता है।
उपाय
सर्वपितृ अमावस्या के मौके पर पीपल के पेड़ की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। क्योंकि पीपल के पेड़ में पितरों का वास माना जाता है। इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ की सात बार परिक्रमा कर पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और दीपक में काले तिल भी डालें। आप चाहें तो इस दिन किसी मंदिर के बाहर पीपल का पेड़ लगा सकते हैं। ध्यान रहे कि कभी घर के अंदर पीपल का पौधा नहीं लगाना चाहिए। आप इस दिन पितरों के नाम से तुलसी का पौधा लगा सकते हैं।