हिंदू धर्म में भगवान श्रीगणेश को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। वहीं गणपति की पूजा का उत्सव भी शुरू हो चुका है। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दूर्वा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार 11 सितंबर 2024 को यह पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है। श्रीगणेश की पूजा में छोटी-छोटी चीजों का बहुत महत्व माना गया है।
बता दें कि गणेश जी की पूजा दूर्वा के बिना अधूरी मानी जाती है। दूर्वा अष्टमी के दिन श्रीगणेश को दूर्वा अर्पित करने की परंपरा है। माना जाता है कि इस दिन गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने से जातक के जीवन में आने वाली परेशानियों का अंत हो जाता है। तो आइए जानते हैं दूर्वा अष्टमी की तिथि, पूजन विधि और महत्व के बारे में...
दूर्वा अष्टमी
हर साल भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को दूर्वा अष्टमी मनाई जाती है। बता दें यह पर्व गणेश उत्सव के ठीक 4 दिन बाद मनाया जाता है। इस बार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरूआत 10 सितंबर को रात 11:11 मिनट से शुरू हुई है। वहीं 11 सितंबर को रात 11:46 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी।
व्रत और पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि कर साफ वस्त्र पहनें और फिर सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद व्रत का संकल्प लेते हुए गणेश जी की विधि-विधान से पूजा करें। गणेश जी को फल, फूल, माला, चावल, धूप, दीपक और दूर्वा अर्पित करें। भगवान श्रीगणेश को भोग में तिल और मीठे आटे की रोटी का भोग लगाएं। इसके बाद भगवान शिव की पूजा करें।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार गणेश जी का राक्षसों के साथ युद्ध हो रहा था। लेकिन उस युद्ध में राक्षसों की मृत्यु नहीं हो रही थी, बल्कि वह मर के भी जीवित हुए जा रहे थे। तब श्री गणेश ने राक्षसों को मारने के लिए उनको जिंदा निगलना शुरू कर दिया। राक्षसों को जिंदा निगलने से श्रीगणेश के शरीर में बहुत गर्मी उत्पन्न हुई और उनका पेट व शरीर गर्मी के कारण जलने लगा। तब सभी देवताओं ने गणेश जी के शरीर की गर्मी को शांत करने के लिए उनको हरी दूर्वा चटाई और दूर्वा अर्पित की। दूर्वा से गणेश जी के शरीर की गर्मी कम हो गई और उनको अच्छा महसूस होने लगा। इसलिए भगवान श्रीगणेश को दूर्वा अत्यंत प्रिय है। बिना दूर्वा के गणेश जी की पूजा अधूरी मानी जाती है।
महाउपाय
इस दिन गणेश भगवान की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें और उनको दूर्वा अर्पित करें। फिर गणेश गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करें और प्रार्थना करें कि जीवन में आने वाले संकट दूर हों। इस उपाय को करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।