हर साल सुहागिन महिलाओं को करवा चौथ व्रत का बेसब्री से इंतजार रहता है। महिलाएं पति की लंबी आयु, बेहतर जीवन और अखंड सौभाग्य के लिए करवा चौथ पर निर्जला व्रत करती हैं। हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को यह व्रत किया जाता है। इस दिन महिलाएं पूरा दिन व्रत रखते हुए रात को चंद्रमा के निकलने पर दर्शन-पूजन करते हुए अपना व्रत खोलती हैं।
वहीं सू्र्योदय से इस व्रत की शुरूआत होती है। वहीं सूर्योदय से पहले सरगी खाई जाती है। फिर रात में करवा माता और गणेश जी की पूजा कर कथा सुनी जाती है। तो आइए जानते हैं करवा चौथ व्रत का मुहू्र्त और पूजन विधि के बारे में...
सरगी
बता दें कि करवा चौथ पर सूर्योदय से पहले महिलाएं स्नान आदि कर व्रत का संकल्प लेती हैं। फिर सास द्वारा दी गई सरगी खाई जाती है। सरगी में फल, सैवई, मिठाई, पूड़ी और श्रृंगार का सामान दिया जाता है। इस साल आज यानी की 20 अक्तूबर को करवा चौथ का व्रत किया जा रहा है। 20 अक्तूबर को करवा चौथ पर सरगी खाने का शुभ मुहूर्त सुबह 04:30 मिनट तक रहेगा।
शुभ मुहूर्त 2024
इस व्रत में महिलाएं पूरा दिन निर्जला व्रत करते हुए शाम को चंद्रमा के दर्शन कर अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करवा माता, पार्वती मां, भगवान शिव और गणेश जी का विधि-विधान से पूजन करती हैं। इस बार करवा चौथ के मौके पर रोहिणी नक्षत्र का अद्भुत संयोग बना हुआ है। करवा चौथ पर पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:46 मिनट लेकर शाम को 06:54 मिनट तक रहेगा।
चंद्रोदय का समय
इस दिन चंद्र देव की पूजा का विशेष महत्व होता है। चंद्रमा मन को शीतलता देने के अलावा लंबी आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है। चंद्र देव की पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय और अच्छा रहता है। करवा चौथ के मौके पर चांद के निकलने का समय शाम 07:53 मिनट रहेगा।
पूजा विधि
करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के बीच प्यार, स्नेह और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। यह व्रत पति की लंबी आयु और खुशहाल दांपत्य जीवन का महापर्व है। इस दिन महिलाएं करवा माता और चंद्र देव की पूजा कर पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस दिन करवा माता, पार्वती मां, भगवान शिव, गणेश जी और चंद्र देव की विधि-विधान से पूजा कर करवा व्रत की कथा सुनी जाती है।
करवा चौथ की पूजा के लिए लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर इस पर भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करे। फिर एक लोटे में जल भरकर उसके ऊपर श्रीफल रखकर कलावा बांधें। इसके बाद मिट्टी के करवा में जल भरकर ढक्कन में शक्कर भर दें। फिर उसके ऊपर दक्षिणा रखें और रोली से करवे पर स्वास्तिक बनाएं। अब इसके बाद धूप-दीप, अक्षत और पुष्प चढ़ाएं और भगवान की पूजा करें। अब चौथ माता की कथा पढ़ें या सुनें। वहीं रात में चंद्रमा निकलने पर अर्घ्य देकर बड़ों का आशीर्वाद लें।