सावन का महीना पूजा-अर्चना और त्योहारों के लिए जाना जाता है। अगस्त के महीने में कई ऐसे पर्व आते हैं, जो हिंदू धर्म में काफी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। सनातन धर्म में कल्की जयंती का बहुत महत्व होता है। हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। इस बार 10 अगस्त 2024 को कल्कि जयंती मनाई जा रही है। कल्कि जयंती को लेकर लोगों की काफी सारी मान्यताएं हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको कल्कि जयंती के शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में बनाते जा रहे हैं।
कल्की जयंती शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक इस बार 10 अगस्त को देर रात 03:14 मिनट पर सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की शुरुआत हो रही है। वहीं अगले दिन यानी की 11 अगस्त की सुबह 05:44 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी। उदयातिथि के मुताबिक इस बार 10 अगस्त 2024 को कल्कि जयंती मनाई जा रही है।
शुभ योग
सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 01 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 07 बजकर 03 मिनट पर
चन्द्रोदय- सुबह 10 बजकर 44 मिनट पर
चंद्रास्त- देर रात 10 बजकर 26 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:34 मिनट से 05:17 मिनट तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:42 मिनट से 03:34 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 07:03 मिनट से 07:25 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:10 मिनट से 12:54 मिनट तक
कल्की जयंती की पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कर वस्त्र धारण करें। फिर सूर्य देव को अर्घ्य दें और व्रत का संकल्प करें। फिर एक लकड़ी की चौकी पर कपड़ा बिछाकर भगवान श्रीहरि विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। अब श्रीहरि का विधिवत अभिषेक करें और तुलसी पत्र के साथ पंचामृत अर्पित कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें। वैदिक मंत्रों का जाप करते हुए विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र और अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान करें। कल्कि जयंती के दिन गरीबों व जरूरतमंदों को भोजन कराएं और यथासंभव दान करें। फिर अगले दिन प्रसाद से अपना व्रत खोलें और पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना करें।