हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है। वहीं इसके अगले दिन धुलंडी मनाई जाती है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर गले मिलते हैं और होली खेलते हैं। इस बार यानी की साल 2025 में होलिका दहन का आयोजन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होने वाला है। क्योंकि इस बार भद्रा की वजह से होलिका दहन के लिए निर्धारित समय में कुछ जरूर बदलाव हो सकते हैं। क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि भद्रा के दौरान किसी भी शुभ कार्य को नहीं करना चाहिए। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको होलिका दहन का मुहूर्त, तिथि और पूजन विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।
शुभ मुहूर्त
इस बार होलिका दहन का समय 13 मार्च की रात 11:26 मिनट से लेकर 14 मार्च की रात 12:30 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इस समय के बीत होलिका दहन करना शुभ होगा। क्योंकि भद्रा काल 11:26 मिनट तक रहेगा। इसलिए इसके बाद होलिका दहन करना शुभ होगा।
भद्रा का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक भद्रा काल के समय कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। क्योंकि इसको नकारात्मक प्रभाव से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन इस बार भद्रा काल की वजह से होलिका दहन का समय सीमित हो जाएगा। इसलिए 13 मार्च की रात को 11:26 मिनट के बाद का समय सबसे उपयुक्त होगा।
पूर्णिमा तिथि
पूर्णिमा तिथि की शुरूआत- 13 मार्च, गुरुवार सुबह 10:35 बजे
पूर्णिमा तिथि की समाप्ति- 14 मार्च, शुक्रवार दोपहर 12:23 बजे
पूजन विधि
सबसे पहले गाय के गोबर से होलिका और प्रह्लाद की मूर्ति बनाकर थाली में रख लें।
अब थाली में फूल, मूंग, नारियल, बताशे, कच्चा सूत,रोली, अक्षत, साबुत हल्दी, फल, और एक जल से भरा कलश रखें।
फिर भगवान नरसिंह का ध्यान करें और रोली, चंदन, पांच प्रकार के अनाज और फूल आदि होलिका में अर्पित करें।
कच्चा सूत लेकर होलिका की सात बार परिक्रमा करें।
फिर होलिका को गुलाल अर्पित करें और जल चढ़ाकर पूजा समाप्त करें।