होली हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है, 'होलिका दहन' के दूसरे दिन लोग रंग खेलते हैं। बड़ी होली से एक दिन पूर्व होलिका दहन पूजा होती है। ये पूजा शाम के समय की जाती है। इस दिन आस-पास के लोग इकट्ठा होकर होलिका जलाते हैं। ये पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि होलिका दहन की आग में अपने अहंकार और बुराई को भस्म कर देना चाहिए। बसंत का महीना लगने के बाद से ही इसका इंतजार शुरू हो जाता है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार होली को साल की शुरुआत के बाद पड़ने वाला पहला बड़ा त्यौहार कहा जाता है। होली का त्यौहार होलिका दहन के साथ शुरू होता है, फिर इसके अगले दिन रंग-गुलाल के साथ होली खेली जाती है। धार्मिक मान्यता है को होलिका दहन करने से आस-पास की नाकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती हैं।
फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन 'होलिका दहन' किया जाता है। इस साल 'होलिका दहन' 17 मार्च को मनाया जा रहा है लेकिन कहीं-कहीं पर 'होलिका दहन' 18 मार्च को होगा, जहां होलिका दहन 17 मार्च को होगा वहां रंगों वाली होली 18 मार्च को खेली जाएगी और जहां 'होलिका दहन' 18 मार्च को होगा वहां 19 मार्च को रंग खेला जाएगा। 'होलिका दहन' वाले दिन को लोग 'छोटी होली' भी कहते हैं। कुछ जगहों पर छोटी होली के दिन मां बच्चों की लंबी उम्र के लिए व्रत भी रखती हैं।
होलिका दहन शुभ मुहूर्त
इस साल होलिका पूजन और दहन का शुभ मुहूर्त 17 मार्च 2022 की रात 09:06 बजे से 10:16 मिनट तक है। यानी होलिका दहन के लिए वक्त केवल एक घंटा दस मिनट का है।
होलिका दहन पूजन सामग्री
गोबर से बने बड़कुले, गोबर, गंगाजल, पूजन के लिए कुछ फूल-मालाएं, सूत, पांच तरह के अनाज, रोली, मौली, अक्षत (साबुत चावल), हल्दी, बताशे, गुलाल, फल, मिठाइयां आदि।
होलिका दहन की तैयारी
सुबह उठकर स्नान कर लें और अगर होलिका व्रत रखना चाहते हैं तो व्रत का संकल्प लें। दोपहर के समय जिस जगह होलिका दहन करना चाहते हैं उस स्थान को साफ कर लें। वहां होलिका का सभी सामान सूखी लकड़ी, उपले, सूखे कांटे रख दें। गोबर से होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा बनाएं। नरसिंह भगवान की पूजा करें। भगवान को पूजन सामग्री अर्पित करें।
पूजन विधि
शाम के समय पूजा करके होलिका जलाएं और उसकी तीन परिक्रमा करें। भगवान नरसिंह का ध्यान करते हुए पाचों अनाज को अग्नि में अर्पित कर दें। परिक्रमा करते हुए अर्घ्य दें, 3 या 7 बार परिक्रमा करते हुए होलिका पर कच्चा सूत लपेटें। फिर गोबर के बड़कुले, चने की बालों, जौ और गेहूं होलिका में डालें। गुलाल डालें और जल भी चढ़ाएं। होलिका जलने के बाद उसकी भस्म को अपने घर ले जाएं और उसे पूजा वाले स्थान पर रख दें।
इन बातों का रखें ख्याल
1. होलिका दहन के वक्त सोना नहीं चाहिए। इस दौरान बल्कि ईश्वर का ध्यान कीजिए।
2. घर में लड़ाई-झगड़ा ना करें।
3. होलिका दहन की रात किसी भी एकांत जगह या शमशान पर बिल्कुल ना जाएं।
4. होलिका दहन की रात पति-पत्नी को शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन की तिथि पर बने संबंध से उत्पन्न संतान को जीवन में कष्ट का सामना करना पड़ता है।
5. होलिका दहन वाले दिन हनुमानजी की विशेष पूजा करनी चाहिए। इससे आपके और आपके परिवार के सारे कष्टों का अंत हो जाता है। मालूम हो कि ज्योतिषीय दृष्टि से होलिका दहन की रात्रि को सबसे सिद्ध रात्रि माना जाता है। इस रात्रि में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति कुछ ऐसी रहती है कि इस रात्रि में किए गए उपाय अनेक संकटों का नाश कर देते हैं लेकिन ये सारे उपाय आप अपने मन से ना करें बल्कि किसी की देखरेख और ज्योतिषी के मार्गदर्शन में करें।
6. होलिका दहन के दूसरे दिन प्रातःकाल एक कलश में जल भरकर होलिका दहन स्थल की पांच परिक्रमा करते हुए जल चढ़ाएं।
7. होलिका दहन की भस्म को रोगियों के शरीर पर लगाने से रोग दूर होते हैं।