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होलाष्टक में नहीं करने चाहिए शुभ काम, आइये जानते हैं इसके कारण और कौन-कौन से काम होते हैं वर्जित

By Astro panchang | Mar 09, 2022

हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन का त्योहार मनाया जाता है। इसके अगले दिन चैत्र माह की प्रतिपदा के दिन लोग रंगोत्सव मनाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से होलिका दहन तक की अवधि को होलाष्टक कहा गया है। इस साल होलाष्टक 10-17 मार्च तक हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक के दौरान शादी-विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश, भवन निर्माण और नया व्यवसाय आदि मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। होलाष्टक के दौरान शुभ कार्यों पर रोक होने के पीछे ज्योतिषीय व पौराणिक दोनों ही कारण माने जाते हैं। फाल्गुन माह (Phalgun Month) में शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा (Purnima) तिथि तक कोई भी शुभ मांगलिक कार्य नहीं किैए जाते हैं। इस 8 दिनों को होलाष्टक कहा जाता है। होली पूर्व ये 8 दिन मांगलिक कार्यों के लिए शुभ नहीं माने जाते हैं। ये 8 दिन अपशगुन के होते हैं क्योंकि भक्त प्रह्लाद को इन आठ दिनों में कई यातनाएं दी गई थीं और होलाष्टक के समय 8 ग्रह उग्र होते हैं। इस वजह से ही होलाष्टक के समय में कोई नए कार्य की शुरुआत, नौकरी परिवर्तन, मकान-वाहन की खरीदारी आदि जैसे कार्यों को करने से बचा जाता है। ऐसे में यदि आपको कोई शुभ कार्य करना है, तो उसे आज ही कर लें क्योंकि कल 10 मार्च से होलाष्टक लग रहा है। फिर आप होली (Holi) तक कोई कार्य नहीं कर पाएंगे। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक होलाष्टक शब्द होली और अष्टक से मिलकर बना है। इसका मतलब है होली के आठ दिन। इन आठ दिन में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, मकान, जमीन तथा वाहन क्रय विक्रय पूर्णतया निषेध माने गए हैं। वहीं 14 मार्च रात्रि दो बजे से सूर्य देव मीन राशि में गोचर करेंगे। सूर्य के मीन राशि में गोचर करने पर भी शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश शुक्ल ने बताया कि इस बार होलिका दहन 17 मार्च दिन गुरुवार को होगा और शुक्रवार 18 मार्च को होली त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।
विष्णु भक्त प्रह्लाद से संबंधित कथा
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को ही हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को बंदी बनाया था। इसके बाद पूर्णिमा तक भक्त प्रह्लाद को बहुत यातनाएं दी गईं। हालांकि विष्णु कृपा से भक्त प्रह्लाद जीवित बच गए लेकिन यातनाओं के उन आठ दिनों को तब से ही अशुभ माना जाने लगा। 
भगवान शिव और कामदेव से संबंधित कथा
प्रेम के देवता कामदेव ने शिवजी की तपस्या भंग कर दी थी, जिससे क्रोधित होकर शिव ने उन्हें भस्म कर दिया। यह घटना फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को घटी। तब कामदेव की पत्नी रति ने शिवजी से कामदेव को पुन: जीवित कर देने की प्रार्थना की। उन्होंने लगातार आठ दिनों तक शिवजी की प्रसन्नता के लिए कठिन तप किया। इसपर भगवान शिव ने रति की प्रार्थना स्वीकार करते हुए कामदेव को पुन: जीवित किया। प्रेम और भौतिक सुख के कारक कामदेव के भस्म रहने के कारण ये 8 दिन शादी—ब्याह और सभी प्रकार के मांगलिक कार्य के लिए अशुभ माने जाते हैं।
होलाष्टक में क्यों नहीं करते शुभ काम ?
मान्यता के अनुसार कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी। इससे रुष्ट होकर उन्होंने प्रेम के देवता को फाल्गुन की अष्टमी तिथि के दिन ही भस्म कर दिया था। इसके बाद कामदेव की पत्नी रति ने शिव की आराधना की और कामदेव को पुनर्जीवित करने की प्रार्थना की, जिसके बाद शिवजी ने रति की प्रार्थना स्वीकार कर ली। महादेव के इस निर्णय के बाद जन साधारण ने हर्षोल्लास मनाया और होलाष्टक का अंत होलिका दहन के दिन हो गया। यही वजह है कि ये 8 दिन शुभ कार्यों के लिए वर्जित माने गए। 
होलाष्टक के दौरान भूलकर भी न करें ये काम-
1. होलाष्टक से लेकर पूर्णिमा तक कैसा भी शुभ काम नहीं करना चाहिए जैसे मुंडन, शादी, नामकरण, अन्नप्राशन आदि।
2. होलाष्टक में किसी भी तरह का बिजनेस नहीं शुरू करना चाहिए क्योंकि इन दिनों में ग्रहों की स्थिति उग्र होती है जिसकी वजह से बिजनेस में घाटा हो सकता है।
3. होलाष्टक के दौरान वाहन भी नहीं खरीदना चाहिए। आप चाहे तो होलाष्टक से पहले वाहन की बुकिंग करा सकते हैं लेकिन उसे घर पर होली के बाद ही लाना बेहतर रहेगा।
4. होलाष्टक के समय किसी भी तरह की पूजा और यज्ञ आदि न कराएं क्योंकि इससे आपको पूरा फल प्राप्त नहीं होगा।
5. अगर आप कोई मकान, प्लॉट आदि खरीदने की सोच रहे हैं तो भी इस समय में बिल्कुल न खरीदें। साथ ही, होलाष्टक के दौरान रजिस्ट्री भी न कराने की सलाह दी जाती है।
6. इसके अलावा, होलाष्टक के दौरान किसी भी तरह से मकान का निर्माण शुरू न करें। अगर आप 10 मार्च से पहले शुरू कर देते हैं तो आप निरंतर निर्माण करा सकते हैं।
7. होलाष्टक के दौरान, ग्रह प्रवेश भी न करें तो बेहतर होगा।
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