हिंदू धर्म में हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि हनुमान जी की रोजाना पूजा करने से व्यक्ति को बड़े से बड़े दुख और कष्ट से मुक्ति मिल जाती है। हनुमान जी को अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों का वरदान प्राप्त है। जिसके प्रभाव से बजरंगबली अपने भक्तों के कष्टों को समाप्त कर उनके जीवन में खुशियां भरते हैं। इसलिए शास्त्रों में भी हनुमान जी को शक्ति, ऊर्जा, ज्ञान, भक्ति और बल का प्रतीक माना गया है।
हनुमान जी भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं। इसलिए हनुमान जी की पूजा करने से जातक को श्रीराम का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं हर साल चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जन्मोत्सव का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि आज भी हनुमान जी सशरीर हमारे आसपास मौजूद हैं। इस बार 12 अप्रैल 2025 को हनुमान जन्मोत्सव का पर्व मनाया जा रहा है। तो आइए जानते हैं हनुमान जन्मोत्सव का मुहूर्त, पूजन विधि और शुभ योग के बारे में...
तिथि और मुहूर्त
चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि की शुरूआत 12 अप्रैल की सुबह 03:20 मिनट पर शुरू हो रही है। वही अगले दिन यानी की 13 अप्रैल को सुबह 05:52 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी। ऐसे में उदयातिथि के हिसाब से 12 अप्रैल 2025 को हनुमान जन्मोत्सव का पर्व मनाया जा रहा है।
हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर पूजा के लिए दो शुभ मुहूर्त हैं। पहला मुहूर्त 12 अप्रैल सुबह 07:35 मिनट से सुबह 09:11 मिनट तक है। वहीं दूसरा शुभ मुहूर्त शाम 06:45 मिनट से लेकर रात 08:08 मिनट तक रहेगा।
शुभ योग
बता दें कि हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर हस्त नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। जोकि शाम को 06:07 मिनट तक रहेगा। वहीं व्याघात योग रात 08:39 मिनट तक रहेगा।
पूजन विधि
इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनें। फिर पूजा स्थान पर एक चौकी रखें और उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। अब चौकी पर हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करें और उन्हें सिंदूर, फूल माला, फल, अक्षत और फूल आदि चढ़ाएं। इसके बाद देसी घी का दीपक जलाएं और हनुमान जी के मंत्रों का जाप करें। इसके बाद हनुमान जी को बूंदी या फिर बेसन के लड्डू का भोग लगाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। पूजा के अंत में आरती करें और पूजा में हुई भूलचूक के लिए क्षमायाचना करें।
मंत्र
ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट
ॐ नमो भगवते हनुमते नमः
ॐ महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते. हारिणे वज्र देहाय चोलंग्घितमहाव्यये। नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा।
ॐ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।