हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा विधि-विधान से की जाती है। इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को जीवन में आने वाले कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। साथ ही घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
नारदपुराण के अनुसार, बुद्धि के स्वामी गणेश जी और मन के स्वामी चंद्रमा के संयोग से इस व्रत को करने से कार्यों में सफलता, मानसिक शांति और पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। मान्यता के मुताबिक विकट चतुर्थी का व्रत और पूजा-पाठ पूरे साल सुख-समृद्धि और पारिवारिक विकास में सहायक सिद्ध होती है।
जानिए कब है चतुर्थी तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, 27 अप्रैल को सुबह 08:17 मिनट पर वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरूआत हो रही है, वहीं 28 अप्रैल सुबह 08:21 मिनट तक मान्य रहेगी। विकट संकष्टी चतुर्थी में चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य का विशेष महत्व होता है।
व्रत का महत्व
वैसे तो गणपति की कृपा पाने के लिए इस व्रत को कोई भी कर सकता है। लेकिन अधिकतर सुहागन महिलाएं परिवार की सुख-शांति व समृद्धि के लिए इस व्रत को करती हैं। इस दिन गणपति की पूजा-अर्चना करने से सुभ-सौभाग्य में वृद्धि होने के साथ विघ्न-बाधाओं से मुक्ति मिलती है और रुके हुए मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं। इस दिन चंद्रदेव के दर्शन करना शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक यदि किसी जातक की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर हो, तो उसे भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। जिससे कि वह व्यक्ति जीवन में सही निर्णय लेकर सफल हो सके। वहीं विकट संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा के साथ रात में चंद्रदेव को अर्घ्य देने से मानसिक संताप दूर होते हैं। क्योंकि चंद्रमा को मन का स्वामी माना जाता है।
ऐसे करें पूजा
इस दिन शुभ मुहूर्त में गणपति को पंचामृत से स्नान कराएं। फिर भगवान गणेश को दूर्वा, गंध, अक्षत, सिंदूर, अबीर, गुलाल, सुपारी, पान, सुंगधित फूल, जनेऊ और मौसमी फल अर्पित करें। वहीं अगर आपके घर में गणेश जी की मूर्ति नहीं है, तो एक साबुत सुपारी को गणपति मानकर उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इसके बाद मोदक का प्रसाद लगाकर धूप-दीप दिखाएं।
मंत्र
व्यक्ति को सुख-समृद्धि के लिए भगवान गणेश के मंत्र 'ॐ गं गणपतये नमः' या 'वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा' का अधिक से अधिक जप करना चाहिए। इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृ्द्धि का आगमन होता है। वहीं विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्ति और श्रद्धा से गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करना पुण्य फलदायी होता है।
इन बातों का रखें ध्यान
विकट संकष्टी चतुर्थू और गणेश चतुर्थी की पूजा में नीले और काले रंग के कपड़े नहीं पहनना चाहिए। भगवान गणेश की पूजा में लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना गया है। वहीं पूर्व या उत्तर मुख करके पूजा करनी चाहिए।