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Bahula Chaturthi 2024: बच्चों की सुरक्षा के लिए मनाई जाती है बहुला चतुर्थी, गायों की होती है पूजा

By Astro panchang | Aug 22, 2024

हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चौथ मनाई जाती है। यह पर्व बच्चों की सुरक्षा के लिए मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं गायों की पूजा-अर्चना करती हैं। वहीं इस दिन भगवान शिव, मां पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की मिट्टी से मूर्तियां बनाई जाती है। बताया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन के महत्व पर जोर दिया था। मान्यता के अनुसार, इस दिन के प्रभाव से संतान के जीवन में खुशियों का आगमन होता है।

बहुला चौथ तिथि और मुहूर्त
भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि की शुरूआत- 22 अगस्त 2024 दोपहर 01:46 से 
भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि की समाप्ति- 23 अगस्त 2024 सुबह  10:38 पर 
बहुला चौथ की पूजा शाम के समय की जाती है। इसलिए शाम 
बहुला चौथ की पूजा का मुहूर्त - बहुला चौथ की पूजा शाम के समय की जाती है। शाम को पूजा का मुहूर्त 06:40 से शाम 07:05 तक है। वहीं चंद्रोदय का समय रात 08:51 मिनट का है।  

क्यों मनाया जाता है बहुला चौथ
धार्मिक शास्त्रों में गायों का विशेष महत्व माना जाता है। हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। इस दिन जो भी महिलाएं गाय की पूजा करती हैं, उनको संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान के जीवन में आने वाली परेशानियां खत्म हो जाती है।

पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार भगवान श्रीकृष्ण बहुला गाय के सामने शेर के रूप में आए। जब बहुला गाय ने अपने सामने शेर को देखा, तो उसने शेर से कहा कि वह अपने प्राण त्यागने के लिए तैयार है, लेकिन उसे अपने बच्चे को दूध पिलाने की अनुमति दें। अपने बच्चे को दूध पिलाने के बाद वह खुद शेर का निवाला बन जाएगी। जब शेर ने गाय का बछड़े के प्रति प्रेम देखा तो उसने गाय को छोड़ दिया। वहीं गाय अपने किए वादे के मुताबिक बछड़े को दूध पिलाकर शेर के सामने आ गई।

बहुला गाय की धर्मपरायणता और भक्ति से भगवान श्रीकृष्ण बहुत प्रसन्न हुए औऱ उन्होंने आशीर्वाद देते हुए कहा कि जो भी कलियुग में उसकी पूजा करेगा उसकी संतान हमेशा स्वस्थ और खुश रहेगी।

पूजा विधि
बहुला चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनें।
इस दिन महिलाएं पूरा दिन निराहार व्रत करती हैं और शाम के समय गाय व बछड़े की पूजा करती हैं।
पूजा के लिए कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं और उन्हें भगवान श्रीकृष्ण और गणेश जी को अर्पित किया जाता है।
फिर गाय और बछड़े को भोग खिलाया जाता है।
पूजा के बाद दाएं हाथ में चावल लेकर बहुला चौथ की कथा सुननी चाहिए। 
इसके बाद गाय और बछड़े की प्रदिक्षणा कर संतान व परिवार की सुख-शांति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
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