सनातन धर्म में चतुर्थी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यह व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं। पंचांग के मुकाबिक ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को एकदंत संकष्ट्री चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस बार 26 मई को यह व्रत किया जा रहा है। तो आइए जानते हैं एकदंत संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में...
एकदंत संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरूआत 26 मई की शाम 06:06 मिनट पर होगी। इस दिन भगवान गणेश के साथ ही चंद्रमा की पूजा करने का विधान है। उदयातिथि के हिसाब से 26 मई 2024 को एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। इस मौके पर श्रवण नक्षत्र का निर्माण हो रहा है, जोकि दोपहर 02:32 मिनट तक रहेगा। वहीं संध्याकाल में पूजा का शुभ मुहूर्त 07:23 से रात्रि 08:23 मिनट तक रहेगा।
पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद पूजा-स्थल की साफ-सफाई करें। फिर चौकी पर भगवान श्री गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। इसके पश्चात श्रीगणेश की पूजा अर्चना कर उन्हें गंध, पुष्प, धूप, दीप इत्यादि अर्पित करें। लड्डू और फल का भोग लगाएं और श्रीगणेश के मंत्रों और स्त्रोत का पाठ करें। इसके बाद आरती करें और पूजा में हुई भूलचूक के लिए क्षमायाचना करें।
एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व
धार्मिक शास्त्रों में इस व्रत के महत्व को विस्तार से बताया गया है। जो भी व्यक्ति एकदंत संकष्टी चतुर्थी के व्रत का पालन करता है, उसको जीवन में सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही बल, बुद्धि, विद्या, धन, समृ्द्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस दिन चंद्रदेव की पूजा का विशेष विधान है। शाम के समय चंद्र देव को अर्घ्य देने से आरोग्यता सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जातक के जीवन में सकारात्मकता आती है।