हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। इसे अहोई आठे के नाम से भी जाना जाता है। इस महिलाएं अपनी संतान के लिए यह व्रत करती हैं। बता दें कि इस दिन व्रत की विधि ठीक करवाचौथ के जैसी होती है। महिलाएं संतान की लंबी उम्र की कामना से यह व्रत करती हैं और फिर रात को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलती हैं। इस साल अहोई अष्टमी के दिन कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। तो आइए जानते हैं अहोई अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
5 नवंबर को है व्रत
इस साल आज यानी की 5 नवंबर को अहोई अष्टमी का व्रत किया जा रहा है। अष्टमी तिथि की 4 नवंबर 2023 को रात 12:59 बजे मिनट से 5 नवंबर 2023 को रात 3:18 मिनट तक रहेगी। वहीं यह व्रत 5 नवंबर 2023 को किया जा रहा है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
आपको बता दें कि माताओं के पास अहोई अष्टमी की पूजा के लिए 1 घंटा 18 मिनट का समय है। इस दौरान पूजा करना शुभ माना जाएगा। अहोई अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:33 मिनट से 06:52 मिनट तक है। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद शुरू होता है और इसी दौरान अहोई अष्टमी की पूजा की जाएगी। आज के दिन मां पार्वती के रूप में अहोई माता की पूजा की जाती है।
शुभ योग
अहोई अष्टमी के दिन व्रत करने वाली महिलाएं तारों को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलेंगी। तारों को देखने का शुभ समय शाम को 05:58 मिनट से शुरू होगा। इस दिन दो शुभ योग बन रहे हैं। अहोई अष्टमी की दिन सबसे पहले रवि पुष्य योग बन रहा है और दूसरा सर्वाथ सिद्धि योग बन रहा है। इस शुभ योग में किसी भी काम को करना शुभ माना जाता है।
क्या लगाएं भोग
हिन्दू ग्रंथों में अहोई अष्टमी का बहुत महत्व बताया गया है। मान्यता के अनुसार, यह व्रत करने से संतान की उम्र लंबी होती है। इससे उनके सफलता के रास्ते खुलते हैं। अहोई अष्टमी के व्रत के दौरान भगवान शिव, मां पार्वती और पूरे शिव परिवार की पूजा की जाती है। व्रत की कथा सुनने के दौरान हाथ में 7 अलग प्रकार के अनाज रखे जाते हैं। वहीं व्रत कथा सुनने, पूजा करने और अर्घ्य देने के बाद बच्चों को पहले भोग खिलाया जाता है।