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Palmistry Tips: नौकरी और व्यवसाय के लिए जिम्मेदार है गुरु पर्वत, जानिए कैसे करें जागृत

By Astro panchang | Dec 24, 2024

हस्तरेखा शास्त्र में हाथों की लकीरों के जरिए भविष्य का पता लगाया जा सकता है। जहां एक तरफ हाथों में मौजूद रेखाओं के माध्यम से व्यक्ति के भविष्य, स्वभाव और व्यवहार आदि के बारे में पता लगाया जाता है। हाथों में मौजूद रेखाओं के जरिए कुछ ऐसे विशेष निशान बनते हैं, जो जीवन में आगे होने वाली घटनाओं की ओर इशार करता है। तो हथेली में कुछ पर्वतों का भी निर्माण होता है, जो ग्रहों से जुड़े होते हैं। ऐसे में अगर हाथों में मौजूद उन निशानों या फिर पर्वत से संबंधित कुछ ज्योतिष उपाय किए जाते हैं, तो यह लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं।

ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि हमारी हथेली में शनि, शुक्र और गुरु पर्वत आदि पर्वत स्थित होते हैं। हथेली में मौजूद यह पर्वत जीवन में घटित होने वाली घटनाओं को निर्धारित करते हैं और शुभ-अशुभ परिणामों को दर्शाते हैं। वहीं अगर किसी व्यक्ति के व्यवसाय या नौकरी आदि में किसी तरह की बाधा आ रही है, व्यापार नहीं चल रहा, नौकरी नहीं लग रही या फिर करियर पर ब्रेक लग गया है, तो हथेली में मौजूद गुरु पर्वत को जागृत करने से यह परेशानियां दूर हो जाती हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप गुरु पर्वत को कैसे जागृत कर सकते हैं।

जानिए गुरु पर्वत को कैसे जगाएं
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक व्यक्ति के जीवन में आने वाले हर एक स्टेज के लिए कोई न कोई ग्रह जिम्मेदार होता है। इसी तरह से करियर के लिए गुरु यानी की बृहस्पति ग्रह को जिम्मेदार माना जाता है।

अगर आप अपने करियर में सक्सेस चाहते हैं और खुद को टॉप ऑफ ज वर्ल्ड देखना चाहते हैं। तो इसके लिए जरूरी है कि आप गुरु पर्वत से जुड़े कुछ उपाय करें।

सीधे हाथ की हथेली के सीधी और इंडेक्स फिंगर के नीचे गुरु पर्वत गोता है। उसी तरह से बाएं हाथ में उल्टी तरफ इंडेक्स फिंगर के नीचे का हिस्सा गुरु पर्वत कहलाता है।

गुरु पर्वत को जागृत करने के लिए आप तीन उपाय कर सकते हैं। सबसे पहला काम गुरु का रंग पीला होता है। इसलिए गुरु पर्वत पर रोजाना हल्दी या पीले चंदन को गोलाई में लगाएं।

वहीं गुरु पर्वत को जागृत करने के लिए आप गुरुवार के दिन गुरु पर्वत पर भगवान विष्णु का बीज अक्षर 'दं' लिखकर श्री विष्णु भगवान की पूजा करें। साथ ही स्त्रोत का श्रद्धा से पाठ करें।

इसके साथ ही गुरु पर्वत पर श्रीहरि के चिन्ह शंख की आकृति बनाएं। वहीं विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करं। काम में सफलता मिलने तक तीनों में कोई भी उपाय लगातार कर सकते हैं।
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