शनिदेव को कर्मफल दाता कहा जाता है, क्योंकि वह कर्मों के हिसाब से सभी को फल देते हैं। शनि एक श्रम कारक ग्रह है, इसलिए कभी भी गरीबों का हक नहीं मारना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से व्यक्ति को शनि के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है। शनि को नवग्रहों में सेवक का पद प्राप्त है। इसलिए शनिवार के दिन गरीब मजदूरों को तेल से बनी चीजें खिलाने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। शनि का प्रकोप हो, शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या हो, तो उसका सबसे पहले हाथ देखना चाहिए।
यदि हाथ में शनि का पर्वत अच्छा होता है और शनि रेखा अच्छी हो। साथ ही हाथ में शनि की प्रतिनिधत्व करने वाली मध्यमा उंगली सीधी, लम्बी और निर्दोष हो, तो ऐसे जातक को शनि से डरने की जरूरत नहीं होती है। क्योंकि ऐसे लक्षणयुक्त व्यक्ति एवं सन्मार्ग में चलने वाले व्यक्ति का शनिदेव कुछ नहीं बिगाड़ते हैं। बता दें कि शनि की शुभ व अशुभ स्थिति को जानने के लिए जन्मकुंडली की जरूरत होती है। लेकिन यदि जन्मकुंडली नहीं है, तो व्यक्ति के हाथ को भी देखकर शनि के परिणामों को जाना जा सकता है।
हाथ की सबसे बड़ी उंगली को मध्यमा कहा जाता है। इसको सामुद्रिक शास्त्र में शनि की उंगली कहा गया है। मध्यमा उंगली के ठीक नीचे के स्थान का शनि पर्वत कहलाता है। वहीं शनि रेखा को भाग्य रेखा भी कहते हैं। ऐसे में व्यक्ति की मध्यमा उंगली और शनि पर्वत रेखा की स्थिति को देखकर शुभ फल के बारे में जाना जा सकता है। यदि शनि पर्वत का भाग दबा हो और हथेली पर चमड़ी खराब होती है, तो यह शनि के अनिष्ट प्रभावों को दर्शाता है।
वहीं जिस व्यक्ति के हाथ में शनि उंगली यानी की मध्यमा सीधी व लंबी होती है तो यह अच्छे भाग्य की ओर संकेत करती है। वहीं मध्यमा उंगली के टेढ़ी होने पर व्यक्ति के गुण अवगुण में बदल जाते हैं और दुर्भाग्य उस व्यक्ति का पीछा नहीं छोड़ता है।
शनि शांति के उपाय
शनि की साढ़ेसाती से बचने के लिए सीधे हाथ की मध्यमा उंगली में काले घोड़े की छाल पहननी चाहिए। इसके साथ ही घर, कार्यालय, दुकान आदि पर काले घोड़े की नाल लगानी चाहिए।
वहीं यदि शनि पीड़ादायक है, तो शनि शमन के लिए सीधे हाथ ही मध्यमा उंगली में काले घोड़े की नाल का छल्ला पहनने के साथ शनि के मंत्रों से नाव की कील का छल्ला अभिमंत्रित कर शनिवार के दिन अवश्य धारण करना चाहिए।
इसके अलावा किसी ज्योतिषचार्य से जन्मकुंडली दिखवाकर मध्यमा उंगली में नीलम रत्न धारण कर सकते हैं।