शादी के बाद संतान सुख को सबसे बड़ा सुख माना गया है। हर शादीशुदा दंपति को संतान सुख की कामना होती है। हर कोई यह जानना चाहता है कि उसकी कितनी संतानें होंगी और होने वाली संतान लड़का होगा या लड़की। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार हथेली की रेखाओं से यह पता लगाया जा सकता है कि जातक को संतान प्राप्ति होगी या नहीं। जातक की हथेली में मौजूद संतान रेखा से संतान संबंधी सभी सवालों का जवाब मिल सकता है। संतान रेखाएं पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों की हथेली में ज्यादा स्पष्ट नजर आती हैं। बुध पर्वत यानी छोटी अंगुली के ठीक नीचे के भाग में विवाह रेखा होती है। संतान रेखाएं ठीक विवाह रेखा के अन्त में उसके उपरी भाग में ऊपर की ओर जाती हैं। संतान रेखा, विवाह रेखा को काटती हुई प्लस का चिन्ह बनाती हुई नजर आती है। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि संतान रेखा से कैसे पता चलता है कि जातक के भाग्य में संतान योग्य है या नहीं और होने वाली संतान पूत होगा या पुत्री -
- जीवन रेखा से कलाई तक की रेखाओं से संतान प्राप्ति संख्या का अंदाजा लगाया जा सकता है। यदि इन रेखाओं की संख्या सम हुई तो इस बात की संभावना ज़्यादा है कि होने वाली संतान पुत्री होगी। वहीं, यदि रेखाएं विषम संख्या में प्राप्त होती हैं तो संतान के पुत्र होने की संभावना ज़्यादा रहती है।
- यदि किसी के हाथ में विवाह रेखा के ऊपर कोई सीधी खड़ी रेखा बनती है तो यह इस बात का संकेत है कि होने वाली संतान पुत्र होगा। वहीं, अगर विवाह रेखा के ऊपर टेढ़ी और कमजोर रेखा बनती है तो इसका अर्थ होता हैं होने वाली संतान पुत्री होगी।
- यदि किसी के हाथ में विवाह रेखा के पास कोई द्वीप का चिह्न बन रहा है तो संतान जन्म के समय थोड़ी कमजोर होती है। हालांकि, बाद में जो यह रेखा स्पष्ट हो रही हो तो संतान स्वस्थ्य हो जाती है।
- यदि किसी के हाथ में संतान रेखा के आखिरी में कोई द्वीप काचिह्न बन रहा है तो ऐसे में पैदा हुई संतान का जीवित रहना मुश्किल होता है।
- यदि हृदय रेखा, बुध पर्वत पर दो या तीन रेखाओं में विभाजित हो रही हो तो उस व्यक्ति को संतान सुख मिलता है।
- ज्योतिशास्त्र के अनुसार यदि किसी के हाथ में अंगूठे के नीचे शुक्र पर्वत अधिक उभरा हुआ है तो उस व्यक्ति को एक संतान होने की संभावना होती है।