जीवन में नाम का बहुत महत्व होता है नाम से ही हमारी पहचान होती है, नाम का महत्व खुद या खुद दृष्टिगत होता है तथा नाम रखने की विधि को संस्कार कर्म में रखा जाता है और जातक के जन्म नक्षत्र पर आधारित नाम रखने का प्रयास किया जाता है कुछ जगहों पर हम यह भी देखते है कि किसी व्यक्ति का नाम तो उचित है लेकिन फिर भी सफलता पाने में उसे बहुत संघर्ष करना पड़ता है या उसे सफलता ही नहीं मिल पाती ऐसे समय में अंक ज्योतिष या अंक शास्त्र द्वारा हम नाम में कुछ परिवर्तन करके उस नाम का महत्व एवं प्रभाव और भी अधिक बढ़ा सकते हैं।
अंकशास्त्र में मूंलाक (जन्मांक) और भाग्यांक ज्ञात करना बेहद आसान होता है और अधिकतर सभी को मालूम भी होता है कि किस प्रकार इसे प्राप्त कर सकते है लेकिन नामांक को निकाल पाना सभी को नहीं आता। अंकशास्त्र के अनुसार नामांक का व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। आजकल हम अनेक व्यक्तियों को देख सकते है जिन्होंने अपने नामांक में परिवर्तन करके अनेक उपलब्धियों को प्राप्त किया है। बहुत से लोग नामांक के सही उपयोग द्वारा अपने जीवन में अनेक बदलाव करने का प्रयास करने में सफलता पाते हैं।
अंकशास्त्री व्यक्ति के दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए भी नामांक का सहारा लेते हैं। अंक हमें सहायता करते है प्राकृतिक फ्रीक्वेंसी सेट करने के लिए। रेडियो के ऊपर अलग-अलग स्टेशन, अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर होते है जब सही ट्यूनिंग नहीं होती तो शोर होता है। जब हम इसको सही फ्रीक्वेंसी से मैच करवा देते हैं तो क्या होता है स्पष्ट संगीत या आवाज सुनाई देने लगती है और कोई शोर नहीं होता है। ठीक ऐसे ही जीवन में काम कर करती न्यूमरोलॉजी, अंक, नामांक, भाग्यांक।
एक उदाहरण के लिए एक सेब है उसमें दाग लगा हुआ है तो क्या इसकी कीमत पूरी मिलेगी? उसको दाग न कहें असंतुलित कहें। तो सेब की सही कीमत कब मिलती है? जब वह बिल्कुल सही है, खराब नहीं हुआ। दुनिया में जब कुछ भी खराब हो जाता है तो उसकी कीमत गिर जाती है। उदाहरण- सेब पूछ रहा है, मेरे पैसे क्यों नहीं मिल रहे। व्यक्ति क्या कहता है जब मैं मेहनत कर रहा हूं तो मुझे पूरे पैसे क्यों नहीं मिल रहे। न्यूमरोलॉजी में पूछेंगे क्या वह प्राकृतिक फ्रीक्वेंसी से परे हटे हुआ है? शायद इसलिए उसको पूरा लाभ नहीं मिल रहा है। तो क्या यहां अंक मदद कर सकते है? हां। अब आपको न्यूमरोलॉजी का तर्क पकड़ में आ गया होगा। प्राकृतिक अवस्था क्या है? उसको कैसे जाने फिर नाम में उसको कैसे फिट करें?
नाम के अंकों अर्थात नामांको को घटा या बढ़ाकर उपयोग में लाने से उचित एवं उपयुक्त लाभ प्राप्त हो सकते है। न्यूमरोलॉजी उच्चारण के ऊपर आधारित है कैसे हमारी स्पंदन की प्रक्रिया काम करती है हम उदाहरण से समझेंगे-
नामांक की गणना संधि विच्छेद
नाम- सोनाली स+ो+न+ा+ल+ी
6+2+5+2+3+2 (6+2+5+2+3+2= 20
2+0=2
इस प्रकार इस व्यक्ति का नामांक 2 बनता है।
नाम- कुमार सानु- क+उ+म+ा+र स+ा+न+उ
2+1+4+2+2 6+2+5+1
11= 1+1= 2 14= 1+4=5
2+5=7
इस प्रकार इस व्यक्ति का नामांक 7 बनता है।
क्या है नामांक
नामांक का गणना हिंदी के अक्षरों को दिए गये अंकों के आधार पर ही की जाती है। व्यक्ति के नाम के अक्षरों के कुल योग से बनने वाले अंक का नामांक कहा जाता है। नामांक गणना के लिए देवनागरी पद्धति का उपयोग किया जाता है। हम जो बोलते है या जिस नाम से बुलाए जाते है या जो उच्चारण नाम कर करते है वो ही सही अंक विद्या है। वहीं अंक पद्धति है।
- रीना बंसल
वास्तु विशेषज्ञ, न्यूमरोलॉजिट