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Margashirsha Amavasya 2024: अमावस्या पर काले कपड़े पहनने की होती है मनाही, जानिए क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र

By Astro panchang | Dec 02, 2024

हिंदू पंचांग के मुताबिक साल में कुल 12 अमावस्या तिथियां पड़ती हैं। वहीं मार्गशीर्ष माह की अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। उदाहरण के तौर पर कहा जाता है कि इस तिथि को भूल से भी काले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। बता दें कि अमावस्या तिथि पर काले वस्त्र न पहनना सिर्फ एक लोक मान्यता नहीं है, बल्कि धार्मिक शास्त्रों में भी इस बारे में वर्णन मिलता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि अमावस्या तिथि पर काले रंग के कपड़े पहनने की मनाही क्यों होती है।

अमावस्या पर क्यों नहीं पहनना चाहिए काले कपड़े
धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि अमावस्या तिथि अशुभ मानी जाती है। क्योंकि यह तिथि खाली होती है। असल में हर विशेष तिथि जैसे पूर्णिमा या एकादशी तिथि पर किसी न किसी देवी-देवता की पूजा करने का विधान है। साथ ही यह तिथियां किसी न किसी ग्रह के तहत आती हैं। लेकिन एक अमावस्या तिथि ही ऐसी है, जो किसी भी ग्रह या देवी-देवता से संबंधित नहीं है।

अमावस्या तिथि पर राहु ग्रह का प्रभाव बताया गया है। राहु के प्रभाव की वजह से अमावस्या तिथि पर किसी भी प्रकार के शुभ कार्य की रोक लग जाती है। इस तिथि पर राहु की काली छाया रहती है और इस कारण अमावस्या तिथि पर काले रंग के कपड़े पहनने की मनाही होती है। क्योंकि इस तिथि पर काले रंग के कपड़े पहनने से राहु का बुरा असर देखने को मिलता है।

बता दें कि राहु के दुष्प्रभाव की वजह से न सिर्फ जातक के जीवन बल्कि घर में भी नकारात्मकता का प्रवाह बढ़ता है। साथ ही व्यक्ति के भीतर भी निगेटिव एनर्जी जन्म लेने लगती है। जो जातक को मानसिक रूप से अशांत और भ्रमित कर देती है। ऐसे में जातक उन निगेटिव विचारों में लीन हो जाता है। राहु अपने अशुभ प्रभाव से व्यक्ति के हर शुभ काम में बाधाएं पैदा करना शुरूकर देता है।

धार्मिक शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि व्यक्ति को राहु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए अमावस्या के दिन भूलकर भी काले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। वहीं अगर आपने भूलवश इस तिथि पर काले रंग के वस्त्र पहन लिए हैं, तो आपको नकारात्मक असर से छुटकारा पाने के लिए ज्यादा से ज्यादा दान-पुण्य, हवन और अनुष्ठान आदि करना चाहिए। साथ ही देवी-देवताओं के मंत्रों का जाप भी करना चाहिए।
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