ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की स्थिति और उनके विभिन्न संयोग व्यक्ति के जीवन के तमाम पहलुओं को प्रभावित करता है। इसमें दिशाबोध की भावना शामिल है। कुंडली में मौजूद कुछ ग्रहों और ग्रहों के संयोजन को दिशाभ्रम और भटकने से जुड़ा माना जाता है। कुंडली में ग्रह दोष होने पर जातक को जीवन में संघर्ष और चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
जिसके कारण उनको निरंतर भटकना पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कुंडली में राहु-केतु का दोष होने पर जातक को आध्यात्मिक और मानसिक स्थितियों में संतुलन नहीं मिलता है। जिसके कारण व्यक्ति हमेशा अस्थिर और असंतुलित फील करता है।
वहीं शनि ग्रह के दोष भी जातक को सामाजिक और पेशेवर जीवन में तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुंडली में मौजूद ग्रहदोषों को दूर करने के लिए ज्योतिष में उपाय बताए गए हैं। जैसे- मंत्र, रत्न और ध्यान आदि। इन उपायों को करने से ग्रह दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है। साथ ही जीवन में सुख-शांति प्राप्त किया जा सकता है।
कमजोर बुध ग्रह
बुध ग्रह बुद्धि और संचार का ग्रह होता है। यह ग्रह निर्णय लेने की क्षमता और मानसिक स्पष्टता से जुड़ा हुआ है। यदि किसी जातक की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर है, तो ऐसा व्यक्ति खराब निर्णय, दिशा-निर्देशों को समझने और भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं। जिसके कारण व्यक्ति बार-बार भटकता है।
राहु का प्रभाव
राहु छाया ग्रहों में से एक है। यह भ्रम, धोखे और अंधकार से जुड़ा होता है। अगर किसी जातक की कुंडली में राहु मजबूत स्थिति में है, तो यह दिशाभ्रम, जमीन से जुड़ाव की कमी और खो जाने का कारण बन सकता है। ऐसा व्यक्ति हमेशा भ्रम की स्थिति में रहते हैं। फिर भले ही वह सही रास्ते पर चल रहे हों।
अन्य ग्रहों के संयोग
बुध और राहु के अलावा अन्य ग्रहों के संयोग से भी दिशा-ज्ञान की समस्या हो सकती है। कुछ खराब ग्रहों के किसी विशेष भाव में होने से नेविगेशन और स्थानीय जागरुकता में कठिनाई का संकेत दे सकता है।