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Shani Sade Sati: एक राशि में इतनी बार लगती है शनि की साढ़े साती, जानिए कैसा होता है इसका प्रभाव

By Astro panchang | Oct 20, 2023

शनि और इसकी साढ़ेसाती से हमेशा लोग डरे हैं। ग्रहों में शनि ग्रह का विशेष महत्व होता है। सभी राशि वालों के ऊपर कभी ना कभी शनि की साढ़ेसाती होकर गुजरती है। शनि की साढ़ेसाती से लोगों के मन में डर पैदा हो जाता है। बता दें कि सभी ग्रहों में शनि सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं। इसलिए जिन-जिन राशि वालों पर इस ग्रह का प्रभाव होता है। तो उसका असर लंबे समय तक होता है। शनिदेव ना सिर्फ बुरा फल देता है, बल्कि जातकों के जीवन में इनका शुभ प्रभाव होने पर लंबे समय तक सुख-समृद्धि और संपन्नता रहती है। शास्त्रों में शनिदेव को कर्मफल दाता कहा जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि यह व्यक्ति के जीवन में शनि की साढ़ेसाती कैसा प्रभाव डालती है।

शनि की साढ़ेसाती
शनि की साढ़ेसाती का असर पूरे सात साल तक रहता है। एक राशि में शनि ग्रह करीब ढाईं साल तक रहते हैं। फिर दूसरी राशि में गोचर करते हैं। ऐसे में एक व्यक्ति के पूरे जीवन में साढ़ेसाती का प्रभाव 3 बार आता है। अगर व्यक्ति का जीवनकाल औसत भी रहे तो भी दो बार शनि की साढ़े साती के दौर से गुजरना पड़ता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि 12 राशियां होती हैं। वहीं एक राशि में शनि ढाई वर्षों तक रहने के बाद ही दूसरी राशि में जाते हैं। इस तरह से एक राशि पर साढ़ेसाती आती है, तो दोबारा उस राशि पर तीस साल बाद साढ़े साती लगती है।

बता दें कि किसी भी राशि पर शनि की साढ़ेसाती तीन चरणों में होकर गुजरती है। जिसमें पहला, दूसरा और तीसरा चरण होता है। पहले चरण को शुरूआती साढ़ेसाती कहा जाता है। दूसरे चरण को चरम वाली साढ़ेसाती कहा जाता है। वहीं तीसरे चरण की साढ़ेसाती को उतरती हुई साढ़ेसाती कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक हर चरण ढाई साल का होता है। इस तरह से साढ़ेसाती को खत्म होने में पूरे साढ़े सात साल का समय लगता है।

साढ़ेसाती का पहला चरण
साढ़ेसाती का पहला चरण काफी ज्यादा कष्टकारी माना जाता है। राशि परिवर्तन करते समय शनिदेव किसी व्यक्ति के जन्म राशि से पहले वाली राशि में होता है। इसको साढ़ेसाती का पहला चरण कहा जाता है। 

साढ़ेसाती का दूसरा चरण
जब शनिदेव किसी व्यक्ति की राशि में आ जाते हैं तो इसको साढ़ेसाती का दूसरा चरण कहा जाता है।

साढ़ेसाती का तीसरा चरण
किसी व्यक्ति की जन्म राशि से निकलकर जब शनिदेव अगली वाली राशि में पहुंच जाते हैं तो इसे साढ़ेसाती का आखिरी चरण कहते हैं।
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