शनि की साढ़े सात वर्ष तक चलने वाली ग्रह दशा को साढ़े साती कहते हैं। साढ़े साती जीवन का वह चरण है जो हर व्यक्ति की पूरी जिंदगी में कम से कम एक या अधिक बार जरुर आती है। शनि ग्रह एक राशि से दूसरी राशि तक जाने में ढाई वर्ष का समय लेता है। एक राशि से दूसरी राशि तक जाते हुए शनि ग्रह किसी व्यक्ति की जन्म राशि या नाम की राशि में स्थित होता है, वह राशि, उससे अगली राशि और बारहवीं स्थान वाली राशि पर साढ़े साती का प्रभाव होता है। तीन राशियों से होकर गुजरने में इसे पूरे सात वर्ष और छः महीने मतलब साढ़े सात वर्ष का समय लगता है इसलिए भारतीय ज्योतिष के अनुसार इसे शनि की साढ़े साती कहते हैं। शनि की साढ़े साती से व्यक्ति को जीवन में तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि शनि की साढ़े साती के प्रभाव कम करने के उपाय बताएंगे -
- सुबह जल्दी उठकर पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और सात बार परिक्रमा करें। शाम को सर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के पास दीपक जलाना चाहिए।
- सुबह जल्दी उठकर स्नादि कार्यों से निवृत होकर एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें। उसके बाद तेल को किसी जरुरतमंद व्यक्ति को दान कर दें। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और भाग्य संबंधी बाधाएं भी दूर होती हैं।
- तांबे के दीपक में तिल या सरसों का तेल भरकर ज्योति जलानी चाहिए।
- प्रत्येक शनिवार को उड़द की दाल को भोजन में शामिल कीजिए और एक समय उपवास करिये।
- शनि का शुभ परिणाम पाने के लिए अपने आचरण में सुधर करें और अपने माता-पिता को हमेशा सम्मान दें।
- एक लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भरें और दान कर दें।
- शनि के मंत्र ॐ शं शनिश्चरायै नमः का जाप 3 माला रोज शाम को करें।
- शनिवार की शाम को सरसों के तेल का दिया पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं और पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा लगातार 40 शनिवार करें।
- साढ़े साती के दौरान ग्रह शनि को खुश करने के लिए प्रत्येक शनिवार को भगवान शनि की पूजा करना सबसे अच्छा उपाय है।
- शनि के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।