ज्योतिष शास्त्र मेंं राहू-केतू को भले ही छाया ग्रह माना जाता हो, लेकिन कुछ राशियों में इनका असर ऐसा होता है कि जातक की किस्मत बदल जाती है। इनकी शक्ति कम होती है, लेकिन फल बहुत ही अप्रत्याशित और चमत्कारी होता है। वैसे भी ये करीब डेढ़ साल के बाद राशि बदलते हैं, इसलिए राहू-केतू के राशि परिवर्तन ने जातकों की किस्मत में अच्छे या बुरे प्रभाव साफ दिखाई देने लगते हैं। 12 अप्रैल, 2022 को सुबह 11 बजकर 18 मिनट पर राहु मेष राशि में गोचर करेगा और केतु तुला राशि में गोचर करेगा। यानी करीब 15 दिनों के बाद आपकी किस्मत में बड़ा बदलाव होने वाला है। खगोलीय रूप से, राहु और केतु आकाशीय गोले पर चलते हुए सूर्य और चंद्रमा के पथों के प्रतिच्छेदन बिंदुओं को दर्शाते हैं। इसलिए दोनों ही ग्रह हमेशा एक दूसरे से 180 डिग्री अलग होते हैं और एक ही समय और एक ही दिन में अलग-अलग राशियों में अपनी गति बदलते हैं। लेकिन ज्योतिष में राहु और केतु को संयुक्त रूप से एक सांप के रूप का प्रतीक माना गया है। जहाँ राहु उस सांप का मस्तक होता है, जबकि सांप का शेष शरीर केतु माना जाता है।
राहु और केतु के मेष और तुला राशि में गोचर का अर्थ
कहा जाता है जब राहु मेष राशि में गोचर करता है तो यह मेष राशि के गुणों की मिसाल पेश करता है। यह राशि चक्र की पहली राशि होती है जो स्वयं का प्रतिनिधित्व करती है इसलिए उम्मीद की जा सकती है कि मेष राशि में राहु का यह गोचर लोगों को थोड़ा स्वार्थी बना सकता है। मुमकिन है कि इस गोचर के प्रभाव स्वरूप आप (आत्म केंद्रित) महसूस कर सकते हैं। अर्थात आप इस दौरान केवल अपने बारे में सोचने में ज्यादा ध्यान केंद्रित करेंगे कि, आपको क्या चाहिए? आप कैसे दिख रहे हैं? इत्यादि।
वहीं दूसरी तरफ केतु का तुला राशि में गोचर होगा। तुला साझेदारी की राशि मानी जाती है। ऐसे में तुला राशि में केतु गोचर के प्रभाव स्वरूप लोग अपनी प्रतिबद्धताओं से कुछ को अलग महसूस कर सकते हैं। फिर चाहे बात करें व्यवसायिक साझेदारी की या फिर व्यक्तिगत संबंधों की दोनों पर ही केतु के इस गोचर का प्रभाव देखने को मिलेगा।
सावधान रहें इन राशियों के जातक
1. मेष (Aries)
मेष राशि के जातकों को अपने रिश्तो के प्रति ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता है, क्योंकि संभावित है कि आपको इन क्षेत्रों में कुछ समस्या उठानी पड़ सकती है। आपके जीवन में वित्तीय और स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं भी खड़ी हो सकती हैं।
2. तुला (Libra)
तुला राशि के जातकों के लिए राहु सप्तम भाव में और केतु प्रथम भाव में गोचर करेगा। आपको सेहत, आर्थिक पक्ष, और रिश्तों के मामलों में आपको ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु केतु ग्रहों की शुभ स्थिति है तो इस गोचर के माध्यम से उनके जीवन में विकास और परिवर्तन देखने को मिलेंगे।
3. धनु (Sagittarius)
धनु राशि जातकों के लिए ये समयावधि ज्यादा अच्छी नहीं रहने वाली है। आपको भविष्य को लेकर असुरक्षा की भावना और चिंता परेशान कर सकती। योजना की कमी और गलत निर्णय लेने की वजह से आपको धन की हानि भी हो सकती है। सलाह दी जाती है कि इस समय अवधि में धन से जुड़ा कोई भी बड़ा निर्णय या बड़ा निर्णय या बड़ा निवेश आदि ना करें।
4. मकर (Capricorn)
मकर राशि के लिए राहु केतु चौथे और दसवें भाव में क्रमशः गोचर करेंगे। केतु का गोचर अनुकूल रहने वाला है, लेकिन राहु का गोचर आपके लिए ज्यादा अच्छा नहीं कहा जा सकता है। इस गोचर के परिणाम स्वरुप आपके परिवार में कुछ समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। साथ ही इस दौरान आपके परिवार के बड़ों का स्वास्थ्य भी आपके लिए परेशानी की वजह बन सकता है।
5. मीन (Pisces)
मीन राशि के लिए ये गोचर प्रतिकूल परिणाम लेकर आएगा। यदि इन जातकों की कुंडली अच्छी हो तो उन्हें बड़ी समस्याओं का सामना तो नहीं करना पड़ेगा। हालांकि यदि व्यक्तियों की कुंडली अच्छी नहीं है तो इन जातकों को आर्थिक समस्या, पारिवारिक समस्या, और स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना करना पड़ सकता है।
राहु-केतु की समस्याओं को दूर करने के उपाय
राहु-केतु सबसे ज्यादा मन को प्रभावित करते हैं ऐसे में सबसे पहले अपनी जीवनचर्या को दुरुस्त और पवित्र बनाएं। नित्य प्रातः तुलसी के पत्ते जरूर ग्रहण करें। चन्दन के तिलक और सुगंध का प्रयोग करें। मांस- मदिरा और फास्ट फूड खाना बंद कर दें। जहां तक संभव हो नियमित मंत्र जप करें। अपने इष्ट का ध्यान कर सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करें। अपना रहन-सहन, आचार विचार शुद्ध और पवित्र बनाएं।