ज्योतिष शास्त्र में कई ऐसे दोषों के बारे में बताया गया है, जिनका प्रभाव हमारे जीवन पर गहरा असर डालता है। ज्योतिष के अनुसार, कालसर्प के बाद अगर कोई दोष खतरनाक होता है, तो वह पितृ दोष माना जाता है। पितृदोष होने पर व्यक्ति को कई तरह के कष्ट भोगने पड़ते हैं। हर व्यक्ति की कुंडली में शुभ और अशुभ दोनों तरह के योग बनते हैं।
कुंडली में शुभ योग बनने पर व्यक्ति का जीवन सुख-सुविधाओं से संपन्न होता है। तो वहीं कुंडली में अशुभ योग बनने पर व्यक्ति को जीवन में दुख और संघर्ष का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कालसर्प दोष और पितृदोष को सबसे ज्यादा प्रभावी माना गया है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको पितृ दोष के बारे में बताने जा रहे हैं। साथ ही यह भी जानेंगे कि कुंडली में पितृदोष का निर्माण कैसे होता है और इसका प्रभाव कैसा होता है।
जानिए क्या होता है पितृदोष
बता दें कि जब हमारे पूर्वजों की आत्माएं तृप्त नहीं होती है, तो यह पृथ्वी पर रहने वाले अपने वंश के लोगों को कष्ट देने लगती है। ज्योतिष में इसको पितृदोष कहा जाता है। हिंदू धर्म की मान्यता के मुताबिक अपने परिवार के सदस्यों को हमारे पूर्वजों की आत्माएं देखती रहती हैं। जो पूर्वजों का अनादर करती हैं, उनको कष्ट देती हैं। इससे दुखी होकर पूर्वजों की आत्माएं उनको शाप देती है। इस शाप को पितृदोष माना जाता है।
कुंडली में कैसे बनता है यह दोष
जब किसी जातक की कुंडली में लग्न भाव और पांचवें भाव में सूर्य मंगल और शनि विराजमान होते हैं। तो पितृदोष का निर्माण होता है। इसके साथ ही कुंडली के अष्टम भाव में यदि राहु और गुरु एक साथ बैठते हैं, तब भी पितृदोष का निर्माण होता है। वहीं कुंडली में राहु त्रिकोण या फिर केंद्र में विराजमान होता है, तो पितृदोष बनता है। इसके अलावा जब चंद्रमा, सूर्य और लग्नेश का राहु से संबंध होता है। तब कुंडली में पितृदोष का निर्माण होता है। साथ ही यदि कोई अपने से बड़े का अनादर करता है या फिर उसकी हत्या कर देता है। तो ऐसा व्यक्ति पितृदोष से पीड़ित रहता है।
पितृदोष के लक्षण
जब कुंडली में पितृदोष होता है तो व्यक्ति को जीवन में कई तरह की परेशानियों व बाधाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति की सगाई टूट सकती है, विवाह में देरी हो सकती है, वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं होता, महिलाओं को गर्भधारण में दिक्कत होती है। इसके अलावा बच्चे की अकाल मृत्यु, कर्ज और नौकरी में परेशानी, घर में किसी सदस्य का आकस्मिक निधन व दुर्घटना, विकलांग बच्चे का जन्म या फिर लंबे समय से किसी गंभीर बीमारी से परेशान हो सकते हैं।
पितृदोष के उपाय
कुंडली में पितृदोष होने पर इसका उपाय करवाना बेहद जरूरी होता है। ऐसे में पितृदोष से पीड़ित व्यक्ति हर अमावस्या को अपने घर पर श्रीमद्भागवत के गजेंद्र मोक्ष अध्याय का पाठ कर सकता है।
पितृदोष से पीड़ित व्यक्ति को चतुर्दशी, अमावस्या और पूर्णिमा के एक दिन पहले पीपल के पेड़ पर दूध चढ़ाना चाहिए और श्रीहरि विष्णु से प्रार्थना करनी चाहिए।
जातक को सवा किलो चावल लेकर रोजाना अपने ऊपर से एक मुट्ठी चावल अपने ऊपर से 7 बार उतारकर पीपल की जड़ में डाल दें। इस उपाय को लगातार 21 दिनों तक करने से व्यक्ति को पितृदोष से राहत मिलती है।
पितृदोष होने पर व्यक्ति को घर की दक्षिण दिशा में अपने पूर्वज की तस्वीर लगाकर उसपर हार चढ़ाना चाहिए और रोजाना उनकी पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए काले कुत्ते को हर शनिवार को उड़द के आटे से बने वड़े को खिलाना चाहिए। इस उपाय को करने से राहु, केतु और शनि का नकारात्मक प्रभाव कम होता है।