कुंडली मिलान के समय मिल जाए नाड़ी दोष तो टाल दें विवाह, जानिए क्यों?
By Astro panchang | Apr 22, 2020
ज्योतिष शास्त्र में विवाह का बंधन सबसे पवित्र बंधन माना गया है। ये बंधन मान्यता के अनुसार सात जन्मों के लिए होते हैं। लेकिन विवाह पूर्व लड़का और लड़की के गुणों का मिलान किया जाता है। यदि लड़का और लड़की के 36 गुणों का मिलान करने पर जितने ज़्यादा गुण मिल जाएं तो वर-वधू की जोड़ी अत्यंत शुभ मानी जाती है। परंतु 36 के 36 गुण न मिलने पर भी लगभग आधे से अधिक गुण मिलने विवाह के लिए आवश्यक होते हैं। वैवाहिक तैयारियों के बीच कुंडली मिलान करवाने पर कई तरह के दोष पाए जाते हैं। जिसमें से एक है 'नाड़ी दोष' ऐसी मान्यता है कि लड़का-लड़की की कुंडली का मिलान करते समय 'नाड़ी दोष' पाया जाए तो विवाह नहीं करना चाहिए।
सबसे पहले समझिए नाड़ी के प्रकार
ज्योतिष के अनुसार नाड़ी तीन प्रकार की बताई गई है जोकि आद्य नाड़ी, अंत्य नाड़ी, और मध्य नाड के नाम से जानी जाती हैं। कुंडली मिलान करने पर लड़का और लड़की की नाड़ी समान होने पर नाड़ी दोष माना जाता है, उदाहरण- अगर लड़के की नाड़ी मध्य है और लड़की की नाड़ी भी मध्य है तो ऐसे केस में नाड़ी दोष माना जाता है। ऐसी स्थिति में विवाह उपरांत वर या वधू अथवा की मौत होने की संभावना जताई जाती है।
किस अवस्था में नाड़ी दोष नहीं माना जाता
अगर वर वधु का जन्म नक्षत्र एक ही हो और जन्म की राशियां अलग-अलग हों तो नाड़ी दोष नहीं मन जाता है। वहीं अगर इसका विपरीत भी हो अर्थात जन्म रशियां एक जैसी हों और जन्म नक्षत्र अलग-अलग हों तो भी नाड़ी दोष ख़तम हो जाता है। वर वधु का जन्म अगर एक ही नक्षत्र में ही हुआ है परन्तु अलग चरणों में तब भी नाड़ी दोष नहीं लगता है।
नाड़ी दोष होने पर भी विवाह हो जाने पर नाड़ी दोष के निवारण हेतु पूजा विधि बताई गई है। ज्योतिषों से सम्पर्क करते हुए एक विशेष पूजा का अनुष्ठान करें। जिससे इस दोष से मुक्ति मिलती है। ये दोष दांपत्य जीवन को खत्म कर सकने में सक्षम होता है इसलिए इसे गंभीरता से लिया जाना बेहद आवश्यक है। महामृत्युंजय मंत्र का जप करें जिससे नाड़ी दोष दूर हो सकता है। दान करने से नाड़ी दोष का प्रभाव खत्म होता है। खुशहाल दांपत्य जीवन की कामना करते हैं, तो ज्योतिष शास्त्र और वास्तुशास्त्र के नियमों और शर्तों का पालन अवश्य करें।