ज्योतिषशास्त्र के अनुसार राशिरत्नों का व्यक्ति के जीवन और किस्मत पर बहुत प्रभाव होता है। इन रत्नों को सौरमंडल में मौजूद ग्रहों का अंश माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार प्रत्येक रत्न को किसी खास धातु में ही धारण करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि यदि किसी रत्न को गलत धातु में धारण किया जाए तो इसका कोई प्रभाव नहीं होता है या नकारात्मक प्रभाव होता है। वहीं, जब रत्न को सही धातु में पहना जाए तो इसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कौन सा रत्न किस धातु में धारण करना चाहिए -
माणिक्य
ज्योतिष विद्या के जानकारों के अनुसार सूर्य के रत्न माणिक्य यानि रूबी को तांबे या सोने की धातु में पहनना चाहिए। विशेष रूप से तांबे में पहनने से इसका असर अधिक बढ़ जाता है। राशि के अनुसार माणिक्य रत्न धारण करने से करियर में सफलता मिलती है।
पन्ना
बुध का रत्न माना जाने वाला पन्ना, सोने की धातु में पहनना चाहिए। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पन्ना रत्न धारण करने से बुध के शुभ फल प्राप्त होते हैं। यह रत्न धारण करने से करियर में सफलता मिलती है और आंखों की रोशनी भी तेज होती है।
मोती
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार चंद्रमा का रत्न मोती माना जाता है। यह रत्न मन और मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है। मोती को चांदी में पहनना शुभ माना जाता है। हालाँकि, मोती को कभी भी सोने की धातु में नहीं पहनना चाहिए। जिन लोगों के गुस्सा अधिक आता हो, उन्हें यह रत्न अवश्य धारण करना चाहिए।
नीलम
नीलम को शनि देव का रत्न माना जाता है। इस रत्न को धारण करने से शनि मजबूत होता है और शुभ फल देता है। नीलम को हमेशा सोने या प्लैटिनम की धातु में पहनना चाहिए। हालाँकि, नीलम धारण करने से पहले किसी ज्योतिषी से सलाह अवश्य लेनी चाहिए। यह रत्न अगर किसी को सूट ना करे तो वह व्यक्ति बर्बाद हो सकता है।
पुखराज
बृहस्पति का रत्न पुखराज होता है। ज्योतिषशास्त्र में इसे सबसे जल्दी लाभ देने वाला रत्न माना जाता है। पुखराज रत्न को सोने की धातु में धारण करना शुभ माना जाता है। इसे तांबे की धातु में भी धारण कर सकते हैं।
मूंगा
मूंगा को मंगल ग्रह का रत्न माना जाता है। इस रत्न को सोना, चांदी या तांबे की धातु में धारण किया जा सकता है। विशेष रूप से तांबे में पहनना बहुत शुभ होता है। इस रत्न को पहनने के बाद जातक को जीवन में अपार सफलता हासिल होती है।
गोमेद
राहु का रत्न गोमेद होता है। इस रत्न को किसी भी अष्टधातु, चांदी या त्रिलोह में धारण किया जा सकता है। हालंकि, इस रत्न को धारण करने से पहले कुछ विशेष पूजा करनी होती है। यह पूजा पंडित या ज्योतिष अपने-अपने अनुसार करवाते हैं।
लहसुनिया
केतु का रत्न लहसुनिया माना जाता है। इस रत्न को चांदी या अष्टधातु में बनवाकर धारण करन चाहिए। हालांकि, यह रत्न हर कोई नहीं पहन सकता है। इस रत्न को ज्योतिषि सलाह के बाद ही धारण करना चाहिए।