ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को मायावी ग्रह माना जाता है। यह दोनों ही ग्रह वक्री चाल चलते हैं। वर्तमान समय में राहु मीन राशि में विराजमान है। वहीं कन्या राशि में केतु उपस्थित है। राहु और केतु डेढ़ साल तक एक राशि में रहते हैं। इसके बाद राशि परिवर्तन करते हैं। वहीं राहु और केतु राशि परिवर्तन करने वाले हैं। राहु-केतु के राशि परिवर्तन से जातकों को अगले साल सावधान रहने की जरूरत है। लेकिन क्या आप जानते हैं कुंडली में कब और कैसे अनंत कालसर्प दोष लगता है।
अनंत कालसर्प दोष
जिस जातक की कुंडली में कालसर्प दोष होता है। उसको अपने जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अनंत कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को शुभ कार्यों में असफलता मिलती है और उसके जीवन में अकल्पनीय घटनाएं घटित होती हैं। ऐसा जातक मानसिक तनाव और चिंता से परेशान रहता है और कारोबार में भी नुकसान का सामना करना पड़ता है। उनके परिवार में क्लेश रहता है और ऐसा व्यक्ति लालची होता है।
कुंडली के बारह भाव होते हैं। राहु के लग्नभाव में होने और केतु के जीवनसाथी भाव में रहने के साथ सभी शुभ और अशुभ ग्रह इन दोनों ग्रहों के मध्य उपस्थित रहने पर कुंडली में अनंत कालसर्प दोष लगता है। इस दोष से पीड़ित जातक को जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
उपाय
ज्योतिषियों की मानें, तो राहु-केतु का निवारण कराना श्रेष्ठकर माना जाता है। वहीं आंशिक रूप से पीड़ित जातक भगवान शिव की पूजा कर कालसर्प दोष से निजात पा सकते हैं। इस दोष से निवारण के लिए रोजाना स्नान-ध्यान के बाद गंगाजल में काले तिल और जौ मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। वहीं रोजाना पूजा के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ करें। जरूरतमंदों को धन का दान दें और रोजाना विष्णु चालीसा का पाठ करें।