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जीवन में राहु के खराब होने का कैसे मिलता है संकेत, जानिए कुंडली में राहु का प्रभाव

By Astro panchang | Jul 16, 2020

ज्योतिष के 9 ग्रहों में राहु ग्रह को एक छाया ग्रह (कारक माने जाने के साथ ही अशुभ ग्रह) के रूप में माना जाता है। हमारे कुंडली में राहु के अशुभ भाव के होने पर तमाम प्रकार की परेशानियां आती है।
 
वहीं कभी- कभी राहु ग्रह व्यक्ति का भाग्य भी बदल देता है। यह राहु ग्रह ही है जो मंगल के साथ बैठता है तो उसका असर शून्य कर देता है। तो आइये जानते है राहु ग्रह के प्रभाव के बारे में।

1) राहु ग्रह और चंद्रमा का प्रभाव 
राहु और चंद्रमा के युति से जातकों की कुंडली पर अधिक प्रभाव पड़ता है। इस युति के होने पर मानसिक और शारीरिक परेशानियां बढ़ती है। इसकी वजह से व्यक्तियों पर तनाव भी बढ़ जाता है। राहु और चंद्रमा की युति का असर जिन व्यक्तियों पर होता है वे अगर घर से दूर रहते है तो उन्हें अधिक सफलता मिलती है। 

2) राहु और सूर्य का प्रभाव
सूर्य और राहु की युति से सूर्य ग्रहण लगता है। कुंडली के जिस भाव में यह योग बनता है, उस कुडंली से संबंधित शुभ फलों में यह न्यूनता देता है। ऐसा व्यक्ति लेकिन जिसकी कुंडली में सूर्य और राहु की युति हो वह सफल राजनेता भी होता है।
 
कुंडली में राहु और सूर्य का योग बनने से इसका प्रभाव नकारात्मक रहता है। सूर्य और राहु की युति से पिता और बेटे में विवाद भी पैदा होने लगती है। धार्मिक मान्यता भी है कि सूर्य ग्रहण के दौरान राहु सूर्य को ग्रास करता है।

3) राहु और मंगल का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब-जब राहु और मंगल की युति होती है तब अंगारक योग का निर्माण होता है। मंगल ऊर्जा का स्रोत है, ये अग्नि तत्व का ग्रह है, जबकि राहु भ्रम व नकारात्मक भावनाओं से जुड़ा हुआ है। जब दोनों ग्रह एक ही भाव में एकत्र होते हैं तो उनकी शक्ति पहले से अधिक हो जाती है।
 
यह योग अच्छा और बुरा दोनों ही हो सकता है।इस योग के निर्माण से प्रभावित जातकों को खून से संबंधित परेशानियां बढ़ जाती है। यह योग भाई के लिए बिल्कुल ही अशुभ रहता है।

4) राहु और बुध का प्रभाव
जब व्यक्ति के कुंडली में राहु और बुध की युति होती है तब व्यक्ति को सिर से संबंधित बीमारियां होने लगती है। इस योग में जब राहु शामिल हो जाते हैं तो यह योग कुछ अलग प्रकार से फल देने लगता हैं।
 
सूर्य, बुध और केतु का एक साथ एक भाव में होना वैवाहिक जीवन के लिए दुखद और कष्टकारी परिस्थिति का निर्माण करता हैं। यह योग कुंड्ली के किसी भी भाव में बनें वैवाहिक जीवन पर विपरीत प्रभाव अवश्य डालता है।

5) राहु और गुरु का प्रभाव
राहु और गुरु के युति को चांडाल योग कहते है। यह इसलिए कहते है क्योंकि जब ज्ञान का लोप हो जाता है तो इंसान क्रूर कर्म करता है। गुरु राहु के प्रभाव में हो तो कर्म क्रूर हो जाते है, क्योंकि ज्ञान होने के बाद भी जो पाप करे, वो चांडाल कहलाता है।  इस योग को चांडाल को राक्षस से भी नीचे की श्रेणी का माना गया है।
 
इससे व्यक्ति के जीवन में योग शुभ और अशुभ दोनों तरह का प्रभाव देता है। जब भी राहु और गुरु की युति बनती है तब ऐसे व्यक्ति की आयु लंबी होती है। लेकिन समय- समय पर जीवन में छोटी-छोटी परेशानियां भी बनी रहती है

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