ज्योतिशास्त्र के अनुसार गजकेसरी योग को बहुत शुभ फल देने वाला माना गया है। इस योग का निर्माण बृहस्पति और चंद्रमा ग्रहों के योग से बनता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जातक की कुंडली के द्वादश भावों में से किसी में भी यदि गुरु और चंद्रमा की युति होती है तो गजकेसरी योग माना जाता है। हालांकि, इन दोनों ग्रहों पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही कई ज्योतिषशास्त्र के जानकारों का यह भी मानना है कि यदि गुरु और चंद्रमा एक-दूसरे पर दृष्टि डालते हैं तो तब भी इस योग का निर्माण होता है।
शास्त्रों के अनुसार गज को भगवान गणेश का प्रतीक माना गया है और वे बुद्धि के देवता माने जाते हैं इसलिए जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग होता है उसकी बौद्धिक क्षमता अच्छी होती है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार गज केसरी योग में जन्मे व्यक्ति में अहम नहीं होता है और इसके साथ ही उसमें सिंह के जैसी स्फूर्ति भी पाई जाती है। इस योग में जन्मा व्यक्ति अपनी महत्वकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कठिन परिश्रम करने से नहीं चूकता। इसके साथ ही उसमें सिंह की तरह दूरदर्शिता भी देखी जाती है।
गजकेसरी योग के निर्माण से होने वाले लाभ
जिन जातकों की कुंडली में गजकेसरी बनता है, उन्हें कई स्रोतों से धन लाभ होता है।गजकेसरी योग में जन्में लोगों में दूसरों को अपनी बातें समझाने और दूसरों की बातों समझने का गुण होता है। ऐसे लोगों का स्वास्थ्य भी ज्यादातर दुरुस्त रहता है।
ऐसे लोगों को समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है।
ऐसे लोग समाज में सकारात्मक परिवर्तन करने के लिए भी प्रयास करते हैं।
ऐसे लोग प्रशासनिक सेवाओं या राजनीति में भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
ऐसे लोगों का पारिवारिक जीवन भी सुखमय होता है।