ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कुंडली के नवग्रह का व्यक्ति के जीवन में विशेष महत्व माना जाता है। वहीं बुध और शुक्र ग्रह को धन, संपत्ति, लग्जरी और यश का कारक माना जाता है। वहीं शुक्र ग्रह को व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारने वाला ग्रह भी माना जाता है। तुला और वृश्चिक राशि का स्वामी ग्रह शुक्र होता है।
शुक्र ग्रह सौंदर्य, कला, संगीत, ऐश्वर्य, कामवासना और वैभव का कारक माना जाता है। ऐसे में जब जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होता है, तो जातक का व्यक्तित्व काफी आकर्षक हो जाता है। कन्या राशि में शुक्र नीच और मीन राशि में यह उच्च का होता है।
कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति
जब जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह प्रबल होता है, तो व्यक्ति के पास धन और वैभव की संपन्नता होती है। ऐसा जातक ऐश्वर्यशाली जीवन जीता है और इनका जुड़ाव कला के क्षेत्र से होता है। इस क्षेत्र में जातक सफलता प्राप्त करता है।
वहीं कुंडली में शुक्र ग्रह के अशुभ होने से व्यक्ति का जीवन परेशानियों भरा होता है। ऐसे जातक का पूरा जीवन दरिद्रता में बीतता है। शुक्र ग्रह के अशुभ प्रभाव के कारण व्यक्ति सांसारिक सुखों का भोग नहीं कर पाता है।
यदि किसी जातक की कुंडली में शुक्र कमजोर होता है, तो उसे शुक्र यंत्र की स्थापना कर उसकी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही शुक्र के बीच मंत्र का जाप करें और शुक्र संबंधित चीजों का दान करना भी शुभ फल देता है।
शुक्र ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए शुक्रवार व्रत करने की सलाह दी जाती है। ऐसे जातकों को हीरा व 6 मुखी रुद्राक्ष और अरंड मूल की जड़ धारण करने की सलाह दी जाती है। साथ ही मां लक्ष्मी की भी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।
शुक्रवार के दिन जातक को खीर, ज्वार, इत्र, दही, चांदी, चावल और रंग वाले कपड़ों का दान करना चाहिए। वहीं शुक्रवार के दिन जातकों को गुलाबी और सफेद रंग के कपड़े धारण करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण को चांदी की बांसुरी अर्पित करनी चाहिए और मां जगदंबा की पूजा करनी चाहिए।