क्या आपने कभी ये सोचा है कि ग्रहों की चाल आम जिन्दगी को निर्धारित कर सकती है क्या ऐसा मानना उचित होगा कि ग्रहों की दशा इंसानों की दिशा और दशा दोनों को बदलने और निर्धारण करने का माद्दा रखती है तो जान लीजिए कि वाकई ऐसा है कि ग्रहों की चाल जिन्दगी की चाल पर कभी-कभी भारी भी पड़ सकती है, यदि समय पर उचित उपाय न किये जाएं।
आज हम इस पोस्ट के जरिए बुध की चाल जिसे बुद्धि वाणी और व्यापार का द्योतक माना जाता है उससे जुड़े कुछ ऐसे तथ्यों के बारे में बात करने जा रहे हैं जिन्हें जानना बेहद जरूरी है, क्योंकि बुध का प्रभाव आपके जीवन की किस स्थिति को निर्धारित करता है ये जान लेने में ही भलाई है।
आपने वक्री ग्रहों के बारे में शायद ही सुना हो तो सबसे पहले जानिए वक्री ग्रह क्या होते हैं?
आपको बता दें कि बुध ग्रह किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व, वाणी, व्यापार और संवाद से जुड़ा ग्रह है यानि कुंडली में बुध की स्थिति बहुत मायने रखती है। ज्योतिषों के अनुसार बुध ग्रह सभी नव ग्रहों में से राजकुमार की भूमिका वाला ग्रह माना जाता है। बुध सूर्य से बेहद निकटतम ग्रह भी है, जो अधिकतर अस्त अवस्था में ही रहता है।
बुध किसी भी व्यक्ति के बुध्दि कौशल को तय करता है उसके विवेक व मानसिक शक्ति को प्रभावित करता है। जो ग्रह वक्री होते हैं वो भागदौड़ और प्रभावी फल देने में सक्षम होता है वहीं बुध ग्रह यदि वक्री होता है और जातक की कुंडली में सामान्यतः शुभ होता है तो शुभ फल की वृध्दि कर देता है। यदि बुध अशुभ रूप में होता है तो अशुभ फल प्रदान करने में वृध्दि कर देता है।
बुध वक्री कब होता है?
जब सौरमंडल में एक खगोलीय घटना होती है जिसमें सूर्य व पृथ्वी के सापेक्ष परिक्रमा करता है तब ऐसा प्रतीत हो कि बुध की चाल उल्टी है तब ऐसी स्थिति में बुध वक्री होता है। लेकिन सच्चाई ये है कि बुध उल्टी चाल नहीं चलता लेकिन आभास होने पर ऐसा मात्र प्रतीत होता है कि बुध उल्टी चाल चल रहा है।
ऐसा माना जाता है कि बुध उल्टी चाल साल में लगभग दो से चार बार ही चलता है यानि बुध वक्री होता है। कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि बुध वक्रीय हो जाए तो केवल अशुभ स्थितियां ही उत्पन्न करता है जबकि ऐसा सही नहीं है। अशुभ फल के साथ-साथ बुध शुभ फल भी प्रदान करता है।
बुध वक्री होन पर कौन-सी राशियों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
जब-जब बुध वक्री होता है तब अलग-अलग राशियों पर अलग-अलग प्रभाव व दुष्प्रभाव पड़ता है। लेकिन कुछ राशियों के लिए सावधान रहने की आवश्यकता भी होती है। इस बार बुध वक्री होने जा रहा है जहां ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक चार राशियों को सावधान रहने की आवश्यकता है। जिसमें मेष, वृषभ, वृश्चिक और मीन राशि के जातकों के लिए सावधानी बरतने की बात की गई है।
मेष राशि पर बुध वक्री होने का प्रभाव
मेष राशि के सप्तम भाव में प्रवेश करने वाला वक्री बुध मेष राशि के ऐसे जातकों को जो शादी की आकांक्षा रखते हैं वो बुध की उल्टी चाल खत्म होने तक अपनी आकांक्षाओं को दबाए रखें वर्ना नुकसान हो सकता है। किसी भी बिजनेस में पार्टनरशिप रखने वाले मेष राशि के जातकों के विवाद में वृध्दि होने की सम्भावनाएं प्रबल हैं इसीलिए सावधान रहने की आवश्यकता है। अपने कार्यस्थल पर किसी भी प्रकार के विवाद को पनपने न दें और न विवादों में फंसने की कोशिश ही करें।
वृषभ राशि के जातकों पर बुध के वक्री होने का प्रभाव
बुध वक्री होने की स्थिति में वृषभ राशि वालों की कुंडली के षष्टम भाव में प्रवेश करेगा। इस राशि में बुध के षष्टम भाव में होना यानि शत्रु भाव का होना है, ऐसी स्थिति में वृषभ राशि वाले सभी जातकों के जीवन में विवादों का अंबार टुट पड़ता है। अपनी कार्यशैली को बेहद मजबूत तरीके व स्पष्टतम बना लेने पर ही ये बाधा दूर होती है साथ ही सफल होने के अवसर बन पाते हैं।
वृश्चिक राशि के जातकों पर वक्री बुध की छाया का प्रभाव
इस राशि के बारहवें भाव में वक्री बुध विद्यमान रहेगा। इस भाव का सीधा सम्बन्ध आपके खर्चे से जु़ड़ा हुआ है। यानि आपके जीवन में बुध के मार्गी न हो जाने तक कई तरह के व्यय होंगे। शरीर से सम्बन्धित कुछ समस्याएं हो जाने पर धन खर्च करना पड़ सकता है। विदेश यात्रा से लेकर तमाम तरह की यात्राएं भी करनी पड़ सकती हैं जो व्यय का ही पूरक मानी जा सकती हैं।
मीन राशि पर वक्री बुध का प्रभाव
आठवें भाव में प्रवेश करने वाला बुध आपको धन, आयु रिसर्च सम्बन्धी मामलों में सतर्क रहने की आवश्यकता होगी। ये वक्री बुध आपके जीवन में कई तरह के उतार चढ़ाव लेकर आने वाला है। विशेषकर धन सम्बन्धी सभी मामलों में विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत होगी। माताएं स्वास्थ्य सम्बन्धित कष्ट का अनुभव कर सकती हैं। वैवाहिक जीवन में भी तमाम उतार चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं।