ज्योतिष शास्त्र में मंगलदोष के निवारण के लिए कई उपायों के बारे में बताया गया है। इन उपायों को करने से जातक को कई ग्रह दोषों से छुटकारा मिल सकता है। वहीं कुंडली में मांगलिक दोष तब लगता है, जब किसी जातक की कुंडली में लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या फिर द्वादश भाव में मंगल स्थित होता है। ऐसे जातक को मांगलिक माना जाता है। मांगलिक दोष लगने पर वैवाहिक जीवन में कलह, अशांति जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
हालांकि मांगलिक दोष के निवारण के लिए कई तरह के उपाय बताए गए हैं। इनमें से एक उपाय भात पूजन भी है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि मांगलिक दोष के निवारण के लिए भात पूजन क्यों किया जाता है और इसको करने के क्या नियम होते हैं।
क्यों किया जाता है भातपूजन
मांगलिक दोष के निवारण के लिए भात पूजन किया जाता है। भात का अर्थ चावल से होता है। धार्मिक मान्यता है कि जिस भी जातक की कुंडली में मांगलिक दोष होता है, उसको चावल से शिवलिंग रूपी मंगलदेव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। अगर कोई व्यक्ति मांगलिक है, तो उनको विवाह से पहले भात पूजन जरूर करना चाहिए। इस पूजा में सबसे पहले भगवान गणेश और मां पार्वती की पूजा की जाती है। फिर नवग्रहों का पूजन किया जाता है। इसके बाद कलश पूजन और शिवलिंग रूपी भगवान का पंचामृत से अभिषेक और पूजा की जाती है। पूजा के दौरान वैदिक मंत्रों का भी उच्चारण किया जाता है।
इसके बाद भगवान को भात अर्पित करते हैं और मंगल जाप करने के बाद मंगलदेव की आरती की जाती है।
वहीं अगर आप भी मांगलिक दोष से छुटकारा पाना चाहते हैं। तो आपको बता दें कि मध्यप्रदेश के उज्जैन में मंगलनाथ मंदिर में मंगलदोष निवारण के लिए भात पूजन किया जाता है। माना जाता है कि यह मंगल ग्रह की उत्पत्ति का स्थान है।
भात पूजन करने के महत्व
बता दें कि मंगल ग्रह को ग्रहों का सेनापति कहा जाता है। मंगल ग्रह की प्रकृति उग्र होती है। कुंडली में मंगल दोष होने पर जातक को कई समस्याओं को सामना करना पड़ सकता है। वहीं भात पूजन संपन्न करने से मंगलदोष का दुष्प्रभाव कम होता है और वैवाहिक जीवन में भी सुख-शांति आती है। इसके अलावा मंगल ग्रह स्वास्थ्य से भी जुड़ा होता है और भात पूजन करने से जातक स्वस्थ रहता है और जातक को कई रोगों से मुक्ति मिलती है।