हर व्यक्ति अपने जीवन में तमाम उतार-चढ़ाव देखता है। तमाम परेशानियों का सामना करने के बाद कभी सफलता मिलती है। तो कभी जीवन में आने वाली परेशानियां व्यक्ति को हताश और निराश कर देती हैं। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो मनुष्य के जीवन में आने वाली परेशानियों में मुख्य भूमिका ग्रह-नक्षत्र निभाते हैं। यदि कुंडली में कोई ग्रह शुभ भाव में बैठता है, तो वह अनेक तरह की सुख-सुविधाएं प्रदान करता है। लेकिन जब वही ग्रह कुंडली के अशुभ भाव में विराजमान होता है। तो राजा को रंक बनने में ज्यादा समय नहीं लगता है।
ऐसे में अगर आप भी अपने जीवन में तमाम तरह की परेशानियों से जूझ रहे हैं। तो आप अपनी कुंडली का किसी ज्योतिष से विश्लेषण करवा सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस व्यक्ति की कुंडली में नीचे बताए गए पांच दोषों में से एक भी दोष पाया जाता है। वह व्यक्ति जीवन भर संघर्ष करता रहता है। ऐसा व्यक्ति कठिन मेहनत के बाद भी सकारात्मक परिणाम नहीं पाता है। आइए जानते हैं कुंडली में मौजूद इन पांच खतरनाक दोषों और उसके उपाय के बारे में...
कालसर्प दोष
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष पाया जाता है। ऐसे व्यक्ति को अपने जीवन में अधिक संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति के काम अक्सर बिगड़ जाते हैं। बता दें कि कुंडली में राहु और केतु के एक साथ आने पर कालसर्प दोष का निर्माण होता है।
मंगल दोष
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष पाया जाता है। उस व्यक्ति के रिश्ते बिना किसी कारण के तनाव से भरे रहते हैं। वहीं मंगल दोष विवाह के लिए भी काफी अशुभ माना जाता है।
केंद्राधिपति दोष
जिन जातकों की कुंडली में केंद्राधिपति दोष पाया जाता है। ऐसे व्यक्ति को अपनी जीवन में नौकरी आदि में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कुंडली में यह दोष बृहस्पति और बुध के एक साथ आने पर निर्मित होता है।
पितृ दोष
जब किसी जातक के पूर्वज उनसे नाराज होते हैं, तो व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष बनता है। राहु या केतु के साथ सूर्य का संयोजन होने पर जातक की कुंडली में पितृ दोष बनता है।
गुरु चांडाल दोष
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कुंडली में मौजूद गुरु चांडाल दोष भी मनुष्य को कई तरह से परेशान करता है। इस दोष के होने पर व्यक्ति की पाचन क्रिया दुरुस्त नहीं रहती और फिचूल खर्ची अधिक होती है।
दोषों से निवारण पाने का महाउपाय
बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में इन 5 दोषों के लिए एक महाउपाय बताया गया है। अगर कोई जातक भगवान शिव के सामने निर्मल मन से नियमित रूप से 11 बार 'ओम नम: शिवाय' मंत्र का जाप करता है। तो उस व्यक्ति पर इन दोषों का प्रभाव कम होता है।